एक जंगल में काफी घना पेड़ था। उस पर एक कबूतर रहा करती थी। पेड़ के ही बगल में एक नदी बहती थी।

एक दिन जंगल की तरफ एक मधुमक्खी उड़ती हुई जा रही थी। अचानक तेज हवाओं के कारण वह नदी में गिर गई। नदी में गिरने के कारण व उड़ने में असमर्थ हो गई और जोर-जोर से मदद के लिए चिल्लाने लगी । मधुमक्खी को डूबता देखकर कबूतर के मन में एक विचार आया। उसने उस पेड़ से एक पत्ते को तोड़कर डूबते हुए मधुमक्खी के पास में फेंक दिया। उस पत्ते को पकड़कर मधुमक्खी उस पर बैठ गई और जब उसका पंख सूख गया तो वह उड़ गई और कबूतर को जान बचाने के लिए धन्यवाद कह गई।

कुछ समय बीत गया एक दिन मधुमक्खी उड़ते हुए उसी रास्ते से जा रही थी। उसने देखा कि कबूतर अपने घोसले में सो रही है और उसके ऊपर वाली डाल में लटका हुआ एक सांप उसे पकड़ने की फिराक में है और नीचे एक शिकारी उसे तीर मारने के लिए धनुष तानकर खड़ा है।

उस मधुमक्खी ने कबूतर की जान बचाने की ठान ली क्यकी उस कबूतर ने भी एक दिन उसकी जान बचाई थी। मधुमक्खी उड़कर शिकारी के हाथ पर डंक मार दी। जिससे शिकारी ने हड़बड़ाहट में तीर को छोड़ दिया और वह तीर जाकर उस सांप को लग गया जो कबूतर को खाने के लिए ऊपर वाली डाली से लपक रहा था। जैसे ही सांप को तीर लगी कबूतर जाग गयी। उसने शिकारी और सांप को देखकर सारा माजरा समझ लिया और मधुमक्खी को जान बचाने के लिए धन्यवाद कही।

इस प्रकार मधुमक्खी ने अपने एहसान का कर्ज कबूतर की जान को बचा कर चुकता कर दिया। दोनों खुशी खुशी अपना काम करने लगे।

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