एक नगर में एक किसान रहा करता था वह जंगल से लकड़ियां काटकर उसे शहर में बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण किया करता था। एक दिन की बात है वह किसान लकड़िया काट कर अपनी बैलगाड़ी पर लादकर उसे बेचने के लिए ले जा रहा था। रास्ते में उसे एक सेठ मिला। उसने किसान से पूछा-” लकड़ी की पूरी गाड़ी कितने में बेचोगे?”
किसान ने कहा- “मै इसे 10 रुपए में बेचूंगा!”
सेठ ने कहा कि ठीक है इसे मेरे घर पहुंचा दो। किसान लकड़ियां लेकर उसके घर पहुंचा। उसने लकड़िया उतार कर बैलगाड़ी से अपने घर जाने लगा। तभी सेठ ने कहा-“बैलगाड़ी लेकर कहां जा रहे हो ! मैंने तो 10 रुपए में पूरे गाड़ी की बात की थी। तुम्हें इसको भी यहीं पर छोड़ कर जाना पड़ेगा। तुमने वचन दिया है।”
किसान ने बहुत विनती किया मगर वह सेठ नहीं माना। उदास होकर व किसान अपने घर आया। उसके बेटे ने बैलगाड़ी के बारे में पूछा तो उस किसान ने सब कुछ उसे बताया। अब किसान के बेटे ने सेठ को सबक सिखाने की ठान ली ।
अगले दिन वह किसान का लड़का खुद लकड़ियां काट कर एक दूसरी बैलगाड़ी पर लाकर उन्हें उसी रास्ते पर बेचने के लिए निकला। रास्ते में उसे भी वही सेठ मिला। सेठ ने सोचा “चलो एक मुर्गा और फस गया!”
सेठ ने उस किसान लड़के से पूछा-” यह लकड़ी की पूरी गाड़ी कितने में दोगे?”
किसान के बेटे ने कहा-” सिर्फ दो मुट्ठी में !”
अब सेठ ने सोचा कि चलो कोई बात नहीं इसे दो मुट्ठी में सिर्फ 2 रुपए दे दूंगा। वह किसान का लड़का लकड़िया उतारकर खाली हुआ तभी सेठ ने उसे दो मुट्ठी में 2 रुपए लाकर दे दिए।
किसान के बेटे ने कहा-” मैंने पैसे की बात नहीं करी थी मैंने सिर्फ दो मुट्ठी की बात कही थी। अतः मैं तुम्हारी दोनों मुट्ठियां काट कर ले जाऊंगा।”
यह सुनते ही सेठ घबरा गया। उसके होश उड़ गए। सेठ ने कहा – ” ऐसे नहीं होता है।”
अब किसान के बेटे ने उस ठग सेट से अपने पिता के बारे में बताया। सेठ को अपनी गलती का एहसास हो गया था । उसने किसान के बेटे को किसान की भी बैलगाड़ी वापस दे दी और आगे कभी भी ऐसी गलती ना करने की कसम खाई।