एक जंगल में बहुत सारी चिड़िया पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर रहती थी। उसी में से एक पेड़ पर गौरैया चिड़िया का भी घोंसला था। जिस पर अपनी पति के साथ रहती थी। वह चिड़िया दिनभर अपने घोसले में बैठकर अपने अंडों को संभालती थी और उसका पति बाहर जाकर उसके लिए खाना लेकर आता था। दोनों बहुत खुश थे क्योंकि उनके अंडों से कुछ ही दिनों में बच्चे निकलने वाले थे।
एक दिन की बात है ..जब चिड़िया अपने अंडों को बैठकर से रही थी और उसका पति खाना लेने दूर गया हुआ था , तभी वहां पर एक बदमाश हाथी आया उसने उस पेड़ को तोड़ना चालू कर दिया जिस पर चिड़िया का घोंसला था। पेड़ के टूटते ही चिड़िया के घोसले से अंडे नीचे गिर गए और टूट गए। यह देखकर चिड़िया को हाथी पर बहुत गुस्सा आया। मगर वह उसका क्या कर सकती थी ? वह अपने बच्चों के लिए टूटी हुई डाली पर बैठ कर रोने लगी।
जब उसका पति खाना लेकर वापस आया तो चिड़िया ने उसे सब कुछ बताया। दोनों ने उस घमंडी हाथी को सबक सिखाने का निर्णय लिया।
वे दोनों पंछी अपने एक दोस्त कठफोड़वा के पास गए और उसे अपनी सारी दास्तान बताएं। कठफोड़वा और उस चिड़िया ने मिलकर हाथी को सबक सिखाने का एक योजना बनाया।
कठफोड़वा अपने दोस्त मेंढक और मधुमक्खियों को भी अपने साथ ले लिया। अपनी योजना के तहत सबसे पहले मधुमक्खी ने हाथी के कान में गुनगुनाना शुरू किया। हाथी मस्त हो गया, तभी कठफोड़वा अपने साथियों के साथ आया और हाथी की दोनों आंखों को फोड़ दिया। हाथी जोर जोर से चिल्लाने लगा। पास के ही एक दलदल में मेंढक ने टर टर करना चालू किया। हाथी को लगा कि पास में ही पानी का झील है और वह मेंढक की आवाज सुनकर वहां पर गया और दलदल में फंस गया।
इस प्रकार से चिड़िया और उसके दोस्तों ने मिलकर हाथी से अपना बदला ले लिया।
दोस्तों इसलिए कहा जाता है, कभी भी किसी को छोटा समझने की कोशिश ना करें क्योंकि अगर बहुत सारे छोटे छोटे लोग मिल गए हैं, तो एक बड़े विशालकाय साम्राज्य को भी नष्ट कर सकते हैं।