एक गांव में दिनेश नाम का व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही ईमानदार था। कुछ भी काम करने से पहले वह साधुओं को भोजन कराया करता था। उसका नौकर रामू बहुत ही चतुर था। वह हर काम को बहुत ही चतुराई से करता था जिससे किसी को उसपर शक नहीं होता था।

एक दिन की बात है दिनेश बाजार गया और बाजार से खूब पके पके सेब को लेकर आया है। घर पर आकर सुरेश ने रामू से कहा-” इन सेब को काट कर रख दो! मैं साधु को बुला कर ला रहा हूं। इन सेबों को पहले साधु खाएंगे, उसके बाद हम लोग खाया जाएगा।”

यह कहकर दिनेश साधु को बुलाने चला गया। जब रामू नौकर सेब काट रहा था, तब सेब की खुशबू से उसका मन सेब खाने के लिए उतावला हो गया। उसने धीरे से एक सेब का टुकड़ा उठाया और खा लिया। धीरे-धीरे करके वह पूरा सेब खा गया।

जब दिनेश साधु को लेकर घर आया तब रामू ने दिनेश से कहा-” साहब मैंने सेब नहीं काटे हैं क्योंकि चाकू में धार नहीं था!”

दिनेश ने कहा-” कोई बात नहीं मैं जाकर चाकू में धार करवा कर लाता हूं!”

यह कहकर दिनेश चाकू लेकर घर से बाहर निकल गया। चतुर नौकर रामू ने साधु से आकर कहा-” महाराज आप यहां से भाग जाइए क्योंकि दिनेश आपके हाथ को काटने वाला है! इसलिए वह चाकू में धार करवाने के लिए बाहर गया है यह सुनकर साधू डर गया और घर से भाग गया।

जब दिनेश वापस घर आया तब उसने रामू नौकर से साधु के बारे में पूछा। रामू ने कहा-” साहब वह साधु बहुत ही दुष्ट था। वह सारा सेब लेकर भाग गया।”

दिनेश अब दौड़ता हुआ साधु के पीछे गया। अपने पीछे दिनेश को देखकर साधु और डर गया। वह तेजी से भागकर एक झोपड़ी में जाकर छिप गया।

इस तरह से अपनी चतुराई से रामू नौकर ने सारे सेब खा लिए और अपने आप पर कोई इल्जाम भी नहीं आने दिया।

इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है हमें आंख बंद करके किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

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