एक जंगल में एक भेड़िया रहा करता था। एक दिन वह बहुत ही ज्यादा भूखा था। वह जंगल में भोजन की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहा था, मगर उसे भोजन नहीं मिल रहा था।
कुछ देर बाद उस भेड़िए को पहाड़ की ऊंचाइयों से एक मेमने की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सुनकर वह भेड़िया बहुत ही ज्यादा खुश हुआ। उसने सोचा कि चलो आज बिना मेहनत किए खाने का बंदोबस्त हो गया। अब मैं इस छोटे मेमने को खाकर अपना भूख मिटा लूंगा।
क्योंकि मेमना पहाड़ पर काफी ऊंचाई पर था। जहां पर भेड़िए को जल्दी से पहुंचना मुश्किल था और वह भूख के मारे थक भी चुका था। इसलिए भेड़िए ने सोचा इस मेमने को नीचे ही बुलाते हैं। जब यह नीचे आ जाएगा तो मैं इसे आसानी से खा लूंगा । यही सोचकर भेड़िए ने मन ही मन एक योजना बनाया और चिल्लाकर बोला –”अरे प्यारे छोटे मैंने यहां नीचे बहुत सारी हरी हरी घास हैं!! आओ नीचे आराम से हरी हरी सुनहरी घास खाओ। यहां झरने का पानी भी है, यहां तुम पानी भी पी सकते हो।”
चालाक मेमना, भेड़िए की नियत को समझ गया और उसे उसी के जाल में फंसाने के लिए एक योजना बनाया।
उस मेमने ने भेड़िए से कहा –”अरे भेड़िया अंकल!! मैं नीचे नहीं आ सकता, क्योंकि यहां पहाड़ पर मेरा पूरा परिवार है।”
पूरे परिवार का नाम सुनते ही भेड़िए के मन में लड्डू फूटने लगे। उसने सोचा “अब तो पूरे महीने के खाने का बंदोबस्त हो गया। इसलिए झटपट पहाड़ पर जाकर उनके पूरे परिवार को मार डालता हूं।”
यही सोचकर भूखा और थका हुआ भेड़िया पहाड़ पर चढ़ने लगा। वह मेमने के पास पहुंचने ही वाला था कि अचानक भेड़िए का पैर फिसल गया। वह सीधे जमीन पर आकर गिरा और मर गया । इस तरह से मेमने ने अपनी चालाकी की वजह से अपनी और अपने परिवार की जान को बचा लिया और दुष्ट भेड़िया मारा गया।