इस कहानी की शुरुआत एक ऐसे राज्य से होती है जहां पर हर 10 साल में वहां के राजा को बदल दिया जाता था और एक नए बुद्धिमान व्यक्ति को उस नगर का राजा बनाया जाता था। यह भी नियम था पुराने राजा को उसका कार्यकाल पूरा होने के बाद एक घने जंगल में छोड़ दिया जाता था। जहां पर उस जंगल के जानवर मारकर खा जाते थे। पुराने राजा का कार्यकाल पूरा हो गया था।
अब राज्य में नए राजा की जरूरत थी। उसी राज्य में महेशपाल नाम का एक बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति रहता था। मंत्रियों और राज्य की जनता के सलाह पर महेशपाल को अगला राजा बनाया गया और पुराने राजा को घने जंगल में छोड़ दिया गया।
महेश पाल ने अपने कार्यकाल में उस घने जंगल को साफ करवा दिया और उसमें एक सुंदर सा नगर बसवा दिया। महेशपाल ने अपने कार्यकाल में अपने राज्य में बहुत सारे नहरों, सड़कों और बगीचों का निर्माण करवाया। उसके राज में उसके राज्य की जनता बहुत ही खुश थी।
धीरे-धीरे महेशपाल का भी 10 साल का कार्यकाल पूरा हो गया और उसे जंगल में छोड़ने का समय आ गया। इस बात को लेकर महेशपाल की पत्नी बहुत परेशान थी। महेशपाल ने अपनी पत्नी से कहा-” घबराओ मत जंगल में तुम मेरे साथ चलोगी और हमे कुछ नहीं होगा!”
महेशपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उसे जंगल वाले जगह पर छोड़ दिया गया। मगर यह क्या? वहां पर जंगल नहीं था बल्कि एक बहुत ही सुंदर सा नगर बस चुका था, जिसे राजा महेशपाल ने अपने कार्यकाल में बनवाया था। इस प्रकार से महेश पल अपनी चतुराई और बुद्धिमानी के कारण वह राजा जंगल में जाने से बच गया और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जंगल स्थान पर बसाए गए नगर में खुशी-खुशी रहने लगा।