एक जंगल में एक गेंडा रहता था। का दिन वह गेंडा एक पेड़ के नीचे सो रहा था। एक नन्हा सा चूहा अपनी बिल से बाहर निकल कर खेल रहा था । उसने बड़े से गेंडे को सोता हुआ देखा तो उस चूहे के मन में शरारत सुझा। क्योंकि गेंडा जोर-जोर से खर्राटे भर रहा था। चूहा चुपके से गेंडे के कान के पास गया और उसका मजा लेने के लिए उसने उसकी उसके कान में जोर से काट लिया। गेंडा हड़बड़ा कर जग गया। दर्द के मारे वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा।
गेंडे के चिल्लाने से चूहा घबड़ा गया और सरपट भागा। उस गेंडे ने पूरी ताकत से उस नटखट चूहे का पीछा किया। मगर चूहा दौड़ कर झटपट एक दीवार के छेद में घुस गया।
अब चूहा गेंडे की पकड़ से बहुत ही ज्यादा बाहर था। लेकिन गेंडे ने चूहे को सजा देने की ठान ली थी।
उस गेंडे ने बड़े ही गुस्से में उस चूहे से कहा– ” एक ताकतवर गेंडे को काटने का मजा मैं तुम्हें अब बहुत ही जल्द सिखाऊंगा।” यह बोलकर उस गेंडे ने दीवाल पर अपने सिर से जोर जोर धक्का मारने लगा। दीवार भी बहुत ही मजबूत थी। दीवार पर उस गेंडे के वार का कोई असर नहीं हो रहा था।
चूहे ने गेंडे को चिढ़ाते हुए कहा– “अरे मूर्ख गेंडा! तुम कितना भी बलवान हो जाओ मगर हमेशा तुम्हारे मन की थोड़ी ना चलेगी।”
मगर अभी भी गेंडा बार-बार दीवाल पर अपने सिर से मार रहा था। कुछ समय बाद गेंडे का सिर लहूलुहान हो गया। मगर चूहे जैसे एक तुच्छ प्राणी ने उसका अपमान किया था । जिसके कारण वह बहुत ही क्रोध में था और चूहे से बदला लेना चाहता था।
मगर धीरे-धीरे जब वह दीवाल नहीं गिरी तो गेंडे को भी समझ में आ गया था की दीवार को गिराना उसके बस की बात नहीं है। उसे अब चूहे की बात सही लगने लगी थी। इसलिए वह गेंडा चुपचाप वहां से चला गया । मगर चूहे द्वारा कही गई बात ” तुम कितना भी ताकतवर रहो, मगर हमेशा तुम्हारे मन की नहीं चलेगी” उसके दिमाग में गूंज रही थी।
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि कोई भी इंसान कितना भी ताकतवर हो मगर हमेशा उसके मन की नहीं चलती है क्योंकि इंसान की बुद्धि उसकी शक्ति से कहीं ज्यादा ताकतवर होती है।