एक जंगल में एक कबूतर रहता था। वह हमेशा अपनी बड़ाई करता रहता था। किसी के भी सामने जाता तो सिर्फ अपनी बड़ाई “मैंने यह किया! मैंने वह किया!” वह कबूतर बहुत ही झूठ बोला करता था।
एक बार उसने एक चिड़िया से कहा-” मैं गांव के जमीदार के घर गया था। वहां पर मैंने खूब अच्छे-अच्छे पकवान और मिठाईयां खाए और तो और मैंने एक बार एक बाज से ज्यादा ऊंचाई तक उड़ान भरी थी। चिड़िया उसकी बकबक को सुनकर परेशान हो गई और वहां से उड़ गई। पूरे जंगल के पक्षी उस झूठे कबूतर से परेशान रहा करते थे।
एक दिन जंगल में एक बहुत ही सुंदर तोता आया। उसे देखने के लिए जंगल के सारे पक्षी उसके पास पहुंचे। तोते को देखने के लिए कबूतर भी पहुंचा। कबूतर को देखते ही तोते ने कहा-” तुम वही कबूतर होना जो बहुत ज्यादा बोलता है!”
यह सुनते ही कबूतर ने कहा-” नहीं ऐसी बात नहीं है! मैं अपनी हमेशा बढ़ाई नहीं करता हूं। जंगल के लोग मुझे वैसे ही बदनाम कर रहे हैं। लेकिन मैं बहुत ही अच्छे गाने गा लेता हूं, खूब अच्छे-अच्छे खाना खाता हूं, और तो और बहुत ही अच्छी अच्छी जगहों पर जा चुका हूं।”
वह तोता आगे कुछ बोलने का प्रयास करता तब वह कबूतर अपनी झूठी बढ़ाई करना चालू कर देता था। जब कबूतर बोलते बोलते थक गया, तब उस तोते ने कबूतर से कहा-” मैं तुमको भोज के लिए निमंत्रण देने आया था, मगर तुम पहले से ही खूब अच्छे-अच्छे पकवान खाए हो और दूर-दूर देशों की यात्रा किए हो तो यह निमंत्रण अब तुम्हें नहीं दिया जाएगा।”
यह सुनकर कबूतर गिड़गिड़ाने लगा और कहा-” अरे नहीं मित्र! मैं तो वैसे ही तुमसे झूठ बोल रहा था। मैं कहीं भी नहीं गया हूं यही जंगल में रहता हूं और जंगल के फल को खाता हूं।”
झूठे कबूतर की बात सुनकर जंगल के सारे पक्षी उस पर हंसने लगे। झूठे स्वभाव के कारण कबूतर एक अच्छे भोज में शामिल नहीं हो पाया।
इसीलिए दोस्तों कहा जाता है हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि झूठ बोलने से हमें बहुत हानि होती है , साथ में हमारे ऊपर कोई विश्वास भी नहीं करता है।