एक बार की बात है। एक नगर में 3 चोर रहा करते थे । वे तीनों एक साथ चोरी करते और चोरी किए हुए सामान को आपस में बांट लिया करते थे। इस तरह से वे काफी चोरियां कर चुके थे।
एक दिन उन्होंने एक साहूकार के घर में चोरी करने की योजना बनाई। उन्होंने उस साहूकार के घर में चोरी किया और खूब सारा धन, गहने, जेवरात चोरी करके उस साहूकार के घर से निकल गए। उन्होंने सारा धन जेवर एक थैले में रख दिया और एक जंगल की तरफ भाग गए।
जब वे चोर जंगल में पहुंचे तो उन्हें भूख लग गई । उनमें से दो चोर थैले की रखवाली करने के लिए जंगल में रुके एवं एक चोर खाना लेने के लिए पास के ही एक गांव में गया।
खाना लेने गए चोर के मन में लालच बस गई। उसने सोचा- ” अगर मैं इनके लिए खाने में जहर मिलाकर इनको मार डालता हूं तो साहूकार के घर से चुराई गई सारी कीमती चीजें एवं रुपए उसके हो जाएंगे।” यही सोचकर उसने उन दोनों के खाने में जहर मिला दिया।
ईधर जंगल में थैले की रखवाली करने वाले दोनों चोर भी आपस में योजना बनाएं कि खाना लेने गए चोर को वह मार डालेंगे और सारा सामान आपस में बांट लेंगे।
इस तरह से जैसे ही खाना लेकर पहला चोर उनके पास आया, उन दोनों चोरों ने मिलकर उसे मार डाला। उसे मारने के बाद दोनों चोर मिलकर खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद वे दोनों चोर भी वहीं पर ढेर हो गए, क्योंकि उस खाने में जहर मिला था।
इसलिए दोस्तों का कहा जाता है कि लालच का फल बहुत ही बुरा होता है। इसलिए हमें लालच नहीं करना चाहिए।