एक नगर में एक सेठ रहा करता था । वह सेठ बहुत ही ज्यादा बेईमान और ठग था। उसके यहां कोई भी नौकर आता तो वह दो शर्त रखता था। पहली शर्त यह था “दिन हो या रात जब भी काम पड़ेगा तो उसे करना पड़ेगा” और दूसरी शर्त यह थी “अगर अपने मन से नौकरी छोड़ कर कोई भी नौकर जाएगा तो उसे एक साल का वेतन सेठ को जुर्माने के रूप में देना पड़ेगा।” अपनी इन्हीं शर्तों के कारण उस बेईमान सेठ ने बहुत सारे लोगों को ठगा था।

एक दिन की बात है ..उसके घर श्याम नाम का एक आदमी आया। उसने उस सेठ को अपने घर पर काम देने के लिए कहा। सेठ ने अपनी शर्तों को बताया, तब श्याम ने कहा-” ठीक है! हमें आपकी शर्त मंजूर है मगर मेरी भी एक शर्त है- “अगर आप मुझे काम से निकालेंगे तो मुझे आप एक साल का अतिरिक्त वेतन देंगे।” सेठ ने उसकी शर्त को मंजूर कर लिया।

एक दिन की बात है सेठ ने श्याम को गोदाम का ताला खोलकर दो बोरियां अनाज निकालकर लाने के लिए कहा। श्याम ने जानबूझकर अनाज की बोरियां निकालने के बाद गोदाम का ताला खुला छोड़ दिया। जिसके कारण उसके गोदाम में चोरी हो गई। गुस्साए सेठ ने श्याम से कहा- “तुमने गोदाम का ताला क्यों नहीं बंद किया था?”

तब श्याम ने उत्तर दिया- “मैंने तो ताला बंद किया था, हो सकता है चोर ताला तोड़कर सामान चुराए हो ।”

इसी तरह एक दिन श्याम बाजार से लकड़िया लेकर आया और सेठ की पत्नी से पूछा -” मालकिन! इस लकड़ी के गट्ठर को कहां पर पटकू?”

गुस्साए सेठ की पत्नी ने कहा- “लाओ मेरे सर पर ही पटक दो!” श्याम ने तुरंत लकड़ी का गट्ठर सेठाइन के सर पर पटक दिया। जिससे सेठाइन का सर फट गया। यह देखकर सेट काफी गुस्सा हुआ और उसने श्याम को नौकरी से निकाल दिया।

नौकरी से निकालने पर श्याम ने उस सेठ को अपनी शर्त याद दिलाई। सेठ को मन मसोसकर श्याम को एक साल का अतिरिक्त वेतन दे देना पड़ा। इस तरह से श्याम ने अपनी चतुराई से उस सेठ को बहुत ही अच्छा सबक सिखाया।

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