एक गांव में एक किसान रहता था। एक दिन जब वह किसान अपने खेत में काम करने जा रहा था, तब उसे एक कुत्ते का पिल्ला मिला। किसान ने उसे अपने घर पर लाकर अच्छे से पाला पोसा। बड़ा होकर वह कुत्ता बहुत ही लालची हो गया। वह मौका पाकर किसान के घर में से रोटी चुरा कर खा लिया करता था। धीरे-धीरे उसकी आदत बिगड़ती गई और वह पूरे गांव में घूम घूम कर रोटियां चुराकर खाने लगा।

एक दिन की बात है किसान को किसी काम से शहर जाना पड़ा और वह जल्दबाजी में कुत्ते को खाना देना भूल गया। अब लालची कुत्ते को भूख लगी। वह भोजन की तलाश में गांव में घूमने लगा। कुछ देर बाद उसने एक घर से दो रोटियां चुराई और उसे लेकर नदी के किनारे चला गया। उसने सोचा कि नदी के किनारे आराम से बैठकर रोटियां खा लूंगा।

जब वह कुत्ता नदी के किनारे पहुंचा। तब उसने पानी में अपनी परछाई देखी। उसे लगा पानी में भी कोई कुत्ता रोटिया लेकर खड़ा है। उसके मन में और लालच आ गया।

वह सोचा इस कुत्ते का भी रोटी छीन कर खा लूं। यही सोच कर लालची कुत्ते ने अपनी परछाई को देखकर भौकना चालू कर दिया। जैसे ही कुत्ते ने भौंकना चालू किया, उसके मुंह से रोटी नदी में गिर गई और नदी के पानी के साथ बेहतर दूर चली गई। अपने लालच के कारण लालची कुत्ते ने अपनी रोटी को भी गवा दिया।

इसलिए दोस्तों कहा जाता है कि हमें लालच नहीं करना चाहिए। हमें जो ईमानदारी से मिले उसी में संतोष करना चाहिए क्योंकि लालच का फल बहुत ही बुरा होता है।

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