एक बार की बात है छुट्टियों का समय चल रहा था। एक बच्चा जिसकी उम्र मात्र 10 साल थी, वह अपने पापा से बार-बार किसी सवाल को पूछने के लिए आ जाया करता था। इसके कारण उसके पापा के काम में व्यवधान पड़ रहा था। उसके पापा अपने बच्चे को किसी ऐसे काम में फसाना चाहते थे, जिसे वह काफी देर तक करें और उन्हें अपने काम को करने के लिए समय मिल जाए।
यही सोचकर उस छोटे बच्चे के पापा ने एक किताब से एक पेज फाड़ा। उस पेज पर पूरी दुनिया का नक्शा बना हुआ था। उस नक्शे को उस छोटे बच्चे के पापा ने कई टुकड़ों में विभाजित कर दिया और अपने बच्चे को बुलाकर कहा-” बेटा तुम इन छोटे-छोटे टुकड़े को जोड़कर पहले की तरह बना दो!”
उस बच्चे ने छोटे-छोटे टुकड़े को ले जाकर उसे जोड़ना चालू कर दिया। बच्चे के जाने के बाद उसके पापा ने चैन की सांस ली और सोचने लगे-” चलो अब कम से कम तीन चार घंटे का मोहलत मिल गया। अब मैं अपना काम आराम से कर लूंगा।”
मगर 10 मिनट बाद वह बच्चा फिर अपने पापा के पास पहुंचा और कहा-” पापा मैंने इस पेज को जोड़कर ठीक उसी तरह बना दिया जैसे यह पहले था।”
बच्चे के पापा ने जब उस पेज को देखा तब वह ठीक उसी तरह से हो गया था, जिस तरह वह पहले था। अपनी बच्ची की इस करतूत से वह दंग रह गए। उसने अपने बच्चे से पूछा-” बेटा यह तुमने कैसे किया?”
तब उस बच्चे ने बताया-” पापा इस पेज के पीछे एक बहुत ही सुंदर जिराफ का चित्र था। मैंने पेज को उलट कर उस चित्र जिराफ के चित्र को जुड़ा, जिससे यह दोनों तरफ से सही-सही जुड़ गया।”
अपने बच्चे की इस करतूत से उसके पापा बहुत ही खुश हुए और उसे खूब शबासी दी।
दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि कभी-कभी हमारे जीवन में समस्याएं दिखती बहुत बड़े हैं, लेकिन अगर हम उनका समाधान अपने दिमाग का इस्तेमाल करके करें, तब उन समस्याओं का समाधान बहुत ही छोटा सा निकलता है।