एक किसान के घर पर एक बकरी ने एक बच्चा पैदा किया। बच्चा धीरे-धीरे बड़ा हो गया। एक दिन उस बकरी के बच्चे ने किसान को किसी से बात करते हुए सुना कि जंगल में बहुत ही ज्यादा हरी हरी घास होती हैं । अब बकरी के बच्चे के मन में हरी हरी घास देखने का विचार आया। एक
दिन मौका देखकर बकरी के बच्चे ने जंगल में जाने का निर्णय लिया। जब वह जंगल में पहुंचा तभी उसे चार भेड़ियों ने घेर लिया। ईधर बच्चे की तलाश में बकरी भी उसके पीछे पहुंची और उसने देखा कि उसके बच्चे को चार भेड़िए घेर लिए हैं। बच्चे के साथ बकरी को देखकर सभी भेड़िए बहुत खुश हुए और आपस में कहने लगे “आज तो एकदम पार्टी होगी!”
बकरी चालाक थी, उसने कहा- “देखो ! हम लोग जंगल के राजा शेर के शिकार हैं। अगर तुम लोग हमें खा जाओगे तो जंगल के राजा तुम लोग को मार डालेंगे।” यह सुनकर चारों भेड़िए डर गए और वहां से भाग गए ।
आगे जाते समय बकरी और उसके बच्चे को शेर ने देख लिया। शेर ने कहा कि आज तो बकरी का मांस खाने का मौका मिल गया है इसे मैं नहीं जाने दूंगा। तभी बकरी ने शेर से कहा- “महाराज! मुझे इस जंगल की शेरनी ने आपके लिए पकड़कर रखा है! अगर आप हमें खा जाएंगे तो शेरनी आपसे नाराज हो जाएंगी।” यह सुनते ही शेर सोचने लगा चलो कोई बात नहीं शेरनी इनको हमको ही लाकर देगी और उन्हें जाने दिया।
कुछ दूर जाने के बाद बकरी और उसके बच्चे को शेरनी मिली। शेरनी भी बकरी और उसके बच्चे को मारना चाहती थी। तभी होशियार बकरी ने उस शेरनी से कहा- “मुझे और मेरे बच्चे को जंगल के राजा शेर ने आप को उपहार देने के लिए रखा है। अगर आप खुद ही हमें खा लेंगी तो जंगल के राजा शेर आपसे बहुत ही ज्यादा नाराज हो जाएंगे।”
यह सुनकर शेरनी ने सोचा जब जंगल का राजा शेर मुझे इस बकरी के बच्चे और बकरी को उपहार के लिए रखा है तो क्यों ना मैं थोड़ा इंतजार ही कर लूं और इन्हें जाने दूं।
शेरनी ने बकरी के बच्चे और बकरी को जाने दिया । अब जल्दी से बकरी और उसका बच्चा भागकर किसान के घर पहुंच गए। बकरी ने अपनी होशियारी से अपने साथ-साथ अपने बच्चे का भी जान बचा लिया।
दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि कठिन से कठिन समय में भी हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और अपने दिमाग का इस्तेमाल करके उस परेशानी से निकलने का उपाय सोचना चाहिए।