एक जंगल में एक सियार रहा करता था। वह शिकार के लिए इधर-उधर भटकता रहता था, मगर उसके हाथ बहुत कम शिकार लगते थे। वह परेशान हो गया था और खाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने लगा था। भूख के मारे धीरे-धीरे वह कमजोर भी हो गया। वह सियार किसी भी शिकार को पकड़ नहीं पाता था।

एक दिन उसने एक हिरण का शिकार करने के लिए उसका पीछा किया । मगर हिरण देखते ही देखते उसकी आंखों से ओझल हो गया और सियार उसे पकड़ नहीं पाया। अपनी कमजोरी और शिकार ना पकड़ पाने के कारण सियार बहुत ही निराश हो चुका था।

एक दिन की बात है, खाने की तलाश में सियार एक गांव की तरफ गया। जहां पर उसे कुत्तों ने दौड़ा लिया । कुत्तों से जान बचाकर वह एक धोबी के नीले रंग भरे नाद में कूद गया । रात भर वह सियार उसी नाद में रहा। सुबह होते ही जब वह निकला तो नाद में पड़ा हुआ नीला रंग उसके पूरे शरीर पर लग चुका था। अब वह जहां भी जाता उससे सभी जानवर डरने लगे । उस सियार ने अपने आप को जंगल का राजा घोषित कर दिया। जिस जानवर को उसे खाने का मन करता वह उसकी बलि मांग लिया करता था। अब सारे जानवर उसकी सेवा करते और उसकी बातों को माना करते थे।

एक दिन की बात है …काफी रात हो चुकी थी, सियार की आंख अचानक खुली उसने कुछ सियारो को हुआंते हुए सुना। उनके हुआंने की आवाज सुनकर वह नीला सियार भी जोर-जोर से हुआंने लगा। उसके हुआंने की आवाज सुनकर आसपास के जानवर जाग गए और उस बहरूपिए सियार को मार-मार कर उसकी जान ले लिए।

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