महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 तीर्थंकार थे , उनका जीवन त्याग और तपस्या में ओत प्रोत था | यह ढाई हजार साल पुरानी बात है , 599 वर्ष पहले की बात है , वैशाली के क्षत्रिय कुल में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुल्क को महावीर स्वामी का जन्म हुआ |
बिहार के मुजफ्फर पुर जिले का बसाढ़ का गाँव है वही महावीर को लोग सज्जन भी कहते थे | महावीर जी का गोत्र कश्यप था महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान था , वर्धमान के बड़े भाई का नाम नन्दिवर्धन और बहन का नाम सुदर्शना था , वे बड़े ही निर्भीक थे | इनका बचपन राजमहल में बीता | वर्द्धमान जी आठ वर्ष के होते ही उन्हें शिक्षा और धनुष चलने के लिए शिल्पशाला में भेज दिया गया |
श्वेताम्बर सम्प्रदाय का मान्यता है की वर्द्धमान का विवाह यशोदा से हुआ था , और उनकी बेटी का नाम अयोज्जा है , लेकिन दिगम्बर सम्प्रदाय का मानना है कि वर्द्धमान जी का विवाह नहीं हुआ था वे बालब्रह्मचारी थे | 28 वर्ष की उम्र में इनके माता पिता का देहान्त हो गया, ज्येष्ठ
भाई नन्दिवर्धन के अनुरोध पर दो वर्ष तक घर रहे | बाद में तीस वर्ष की उम्र में वर्धमान
दीक्षा ली , और वे श्रमढ बन गए , उनके शरीर पर परिग्रह के नाम पर एक लगोटी भी नहीं रही | अधिकांश समय वे ध्यान में लीन रहते थे , हाथ से भोजन कर लेते गृहस्तों से कोई चीज़ नहीं मांगते थे | और 72 वर्ष की उम्र में महावीर स्वामी का निधन हो गया |
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