एक शहर में बहुत ही बड़ा बेईमान सेठ रहा करता था। वह हर चीज में बेईमानी किया करता था। एक दिन की बात है, उस बेईमान सेठ का बटुआ कहीं पर गिर गया। इस बात को लेकर वह सेठ बहुत ही परेशान हो गया। उसने उस शहर में ऐलान किया कि जो व्यक्ति उसके बटुए को ला करके देगा , उस व्यक्ति को वह 500 रुपए इनाम में देगा। सेठ के ऐलान की चर्चा पूरे शहर में होने लगी।
उसे सेठ का बटुआ एक बहुत ही इमानदार किसान ने पाया था । वह किसान बटुए को ले जाकर उस सेट को दे देता है। उस बटुए में सेठ ने 2000 रुपए रखे थे।

अब इनाम देरी देने की बारी आई तो बेईमान सेठ अपनी बात से इतराने लगा। उसने किसान से कहा- “अरे भाई! मैंने तो इस बटुए में 2500 रुपए रखे थे। मगर इसमें तो सिर्फ 2000 रुपए ही हैं। इसका मतलब तुमने अपने इनाम का पैसा पहले ही ले लिया है।

सेठ की बातें सुनकर किसान बोला- आप यह बिल्कुल गलत कह रहे हैं ! मैंने इस बटुए को खोला तक नहीं, तो भला मैं इसमें से पैसे कैसे निकाल सकता हूं। अगर मुझे लेना होता तो मैं पूरा बटुआ ही रख लेता ।

मगर बेईमान सेठ उसे इनाम का पैसा देने के लिए राजी नहीं हुआ। परेशान होकर किसान उस शहर के राजा के पास पहुंचा। राजा ने दोनों की बात सुनी। राजा को सेठ पर संदेह हो गया। उसने सेठ से पूछा – “आपने बटुए में कितने रुपए रखा था??”

सेठ ने बड़े ही चतुराई से कहा- “हुजूर!! मैंने इसमें 2500 रुपए रखा था। मगर इसमें 2000 रुपए ही है। इसका मतलब इस किसान ने 500 रुपए इसमें से निकाल लिया है।

अब राजा को सेठ की बेईमानी पता चल गई। उसने कहा- “अगर इस बटुए में सिर्फ 2000 रुपए ही था तो इसका मतलब यह बटुआ तुम्हारा नहीं है। यह कहते हुए राजा ने उस बटुए को उस किसान को सौंप दिया।

मगर ईमानदार किसान ने उस बटुए को लेने से इनकार कर दिया। किसान की इमानदारी को देखते हुए उस बेईमान सेठ को भी समझ में आ गया था कि वह कितनी बड़ी ग़लती किया है। अंत में इस बेईमान सेठ ने किसान से माफी मांगी और उसे उसके इनाम के पैसे दे दिए।

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