एक जंगल में एक कुत्ता रहा करता था। वह दिन भर अपने खाने की तलाश में इधर-उधर घूमता रहता था। कभी-कभी वह जंगल के बाहर स्थित गांव में भी जाकर खाना चुराकर खाया करता था। कुत्ते का दिन भर का यही काम था।

एक दिन की बात है.. जंगल में कोई खाना ना मिलने के कारण वह कुत्ता पास के एक गांव में खाने की तलाश में पहुंचा। बहुत भटकने के बाद कुत्ते को एक रोटी मिला। वह कुत्ता अत्यंत प्रसन्न हुआ और उस रोटी को अपने मुंह में दबाकर जंगल की तरफ जाने लगा।

जंगल में जाने के लिए कुत्ते को एक नदी के पुल से होकर गुजरना था। जब कुत्ता नदी के पुल से होकर गुजर रहा था, तब उसने पुल से नीचे देखा तो उसे एक और कुत्ता मुंह में रोटी लिए हुए दिखाई दिया। उसने सोचा कि अगर मैं नीचे वाले कुत्ते का भी रोटी छीन लूंगा तो मेरे पास दो रोटी हो जाएगा और मैं भरपेट खाना खा लूंगा।

यही सोचकर उस नीचे वाले कुत्ते को डराने के लिए ऊपर वाले कुत्ते ने जोर-जोर से भोकना चालू कर दिया। जैसे ही पुल पर खड़े कुत्ते ने भोकना चालू किया वैसे ही उसके मुंह से रोटी नदी में गिर गया।

जब कुत्ते के मुंह से रोटी गिर गया, तब जाकर उसे समझ में आया जिसे वह कुत्ता समझकर भौंक रहा था, वह असल में कुत्ता नहीं पानी में बनी हुई उसकी ही एक परछाई थी। अब वह कुत्ता अपने आप पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा था। अपने लालच के कारण उस कुत्ते ने अपनी रोटी को गवा दिया और खाली पेट ही अपने घर की तरफ चल दिया।

इसलिए दोस्तों कहा जाता है कि ज्यादा पाने के चक्कर में बहुत ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि लालच के कारण जो हमारे पास होता है वह भी खो जाता है

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