एक बार की बात है.. एक नवयुवक लड़का सफलता का रहस्य जानने के लिए इधर उधर भटक रहा था। मगर उसे कोई भी सफलता का रहस्य नहीं बता पाया। निराश होकर एक दिन वह एक पेड़ के नीचे बैठा था। उसी रास्ते से जाते हुए एक संत ने उसे निराश बैठा हुआ देखकर पूछा -” क्या बात है? बेटा इतने उदास क्यों बैठे हो?”
उस नवयुवक लड़के ने कहा- “महाराज!! मैं सफलता का रहस्य जानना चाहता हूं। मगर मुझे सफलता का रहस्य पता नहीं चल पा रहा है। मैं बहुतों के पास सफलता का रहस्य जानने की चेष्टा से गया मगर हमें संतुष्ट कोई नहीं कर सका।”
उस नवयुवक लड़के की बात को सुनकर संत ने कहा – “ठीक है! मेरे साथ चलो!”
संत उस लड़के को नदी के किनारे ले गए और पानी में घुसने के लिए कहा। जब पानी में आगे बढ़ते बढ़ते पानी लड़के के गले तक पहुंच गया , तभी अचानक उस संत ने उस लड़के का सर पकड़ कर पानी में डुबो दिया। लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा। लेकिन संत बहुत ही ताकतवर थे और उस लड़के को तब तक डुबाकर रखा जब तक कि वह एकदम अचेत होने की अवस्था में आ गया।
फिर उस संत ने उस नवयुवक लड़के को पानी से बाहर निकाला। लड़का हांफते हुए तेजी से सांस ले रहा था। उस संत ने लड़के से पूछा “जब तुम पानी में डूब रहे थे ! उस समय तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”
उस लड़के ने उत्तर दिया “मैं सांस लेना चाहता था।”
तब संत ने कहा “यही सफलता का रहस्य है, जब तुम सफलता को उतनी ही इच्छाशक्ति से चाहोगे जितना कि तुम पानी के अंदर डूबते समय सांस लेना चाहते थे, तो वह तुम्हें जल्दी मिल जाएगी। इसके अलावा सफलता का और कोई रहस्य नहीं है।
इसलिए दोस्तों जब हम अपने जीवन में किसी चीज को पाने के लिए सिर्फ एक लक्ष्य निर्धारित करते हैं। तो वह हमें जल्दी मिल जाती है। सफलता पाने के लिए अपने दिमाग को एकाग्र करना बहुत जरूरी होता है। जब आप एकाग्रता एवं इंटेंसिटी के साथ आगे बढ़ते हैं तो सफलता आपको मिल ही जाती है।