एक गांव में श्याम नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह मेहनत मजदूरी करके अपने जरूरत की चीजों को पूरा करता था। उसी गांव में दीनू नाम का एक कंजूस व्यक्ति रहता था, जो श्याम का मित्र था। दीनू हर बात में कंजूसी किया करता था मगर श्याम की दीनू की ये आदत पसंद नहीं थी।
दीनू की कंजूसी से परेशान होकर एक दिन श्याम ने उसे सबक सिखाने के लिए और उसकी आदत छुड़ाने के लिए बाजार लेकर गया। बाजार में श्याम ने अपने मित्र दीनू से कहा–”मित्र! क्या तुम खाना खाना चाहोगे?”
कंजूस दीनू ने बड़े ही लालच भरी शब्दों में कहा– “हां भाई!! भूख तो बहुत तेज लगी है! चलो भोजन किया जाए।”
वे दोनों एक होटल में गए। श्याम ने होटल के मालिक से बोले– “भोजन है क्या?”
होटल के मालिक ने जवाब दिया– “हां भाई साहब!! एकदम मिठाई की तरह स्वादिष्ट भोजन है।”
श्याम ने दीनू से कहा– *जब मिठाई की तरह भोजन है, तो क्यों ना हम कुछ मिठाई खा लें।”
कुछ देर बाद श्याम अपने कंजूस मित्र दीनू को लेकर एक शहद की दुकान पर गया और शहद के दुकानदार से पूछा– “अरे भाई साहब! शहद कैसा है??”
शहद बेचने वाले ने बोला –”मेरा शहद एकदम शुद्ध बिल्कुल पानी की तरह है!”
अब श्याम ने अपने कंजूस मित्र दीनू से कहा –”चलो घर चलते हैं! मैं तुम्हें घर पर शुद्ध शहद की तरह पानी पिलाऊंगा।”
फिर श्याम घर पर पहुंचकर अपने कंजूस दोस्त दीनू को एक बर्तन में भरकर पानी को थमा दिया। अब उसका कंजूस मित्र दीनू समझ चुका था कि श्याम ने यह सब उसे सबक सिखाने के लिए किया। उसी दिन से दीनू ने अपनी कंजूसी को छोड़ दिया और दिल खोल कर पैसे खर्च करने लगा और खुशी खुशी रहने लगा।