एक बार की बात है एक गांव का सांड मैदान में घास चरते चरते जंगल की तरफ चला गया । वापस आते समय वह रास्ता भटक गया। जंगल में उसने खूब घास खाया और पानी पीने के लिए एक तालाब के किनारे गया। तालाब के किनारे एक शेर भी पानी पीने आया था। शेर ने सांड के डरावने आवाज को सुनकर वहां से पानी पीना छोड़ कर भाग गया। शेर को भागते हुए एक सियार ने देख लिया । वह दौड़ते हुए शेर की गुफा के पास पहुंचा। उसने शेर से कहा-“महाराज! आप जिस जानवर से डरे हैं वह कोई और नहीं बल्कि एक सांड था। आपको उससे नहीं डरना चाहिए था। मैं आपको उससे मिलवाता हूं।”
यह बोलकर सियार सांड को लेकर शेर के पास पहुंचा । शेर सांड की ताकत से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुआ और उसे अपना सलाहकार नियुक्त कर दिया।
धीरे-धीरे में दोनों बहुत ही अच्छे मित्र हो गए। इस बात से परेशान होकर सियार ने दोनों के बीच लड़ाई करवानी चाहिए क्योंकि सियार खुद ही शेर का सलाहकार बनना चाहता था। एक दिन की बात है सियार ने शेर से कहा- “महाराज! आपका मित्र सांड एक दिन मुझसे कह रहा था कि मैं अपने लंबे सींग से शेर को मार कर जंगल का राजा बन जाऊंगा।”
इतना सुनते ही शेर का खून खौल उठा और उसने सांड को मारने का उपाय बनाया।
इधर सियार ने सांड के पास जाकर कहा-“अरे भाई साहब! तुम्हारे ताकत से शेर को बहुत ही ज्यादा जलन होती है। वह मुझसे कह रहा था कि एक दिन में सांड को मारकर खा जाऊंगा।”
इतना सुनते ही सांड बौखलाया हुआ शेर को मारने के लिए जाने लगा। उधर शेर भी सांड को मारने के लिए उसकी तरफ आ रहा था। दोनों की भयंकर लड़ाई हुई और शेर ने सांड को मार डाला।
इस तरह से चतुर सियार अपनी योजना में सफल रहा और शेर का सलाहकार बन गया।
दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कभी भी किसी के बहकावे में आकर हमें अपनी मित्रता पर शक नहीं करना चाहिए। क्योंकि अच्छे मित्र बड़ी मुश्किल से मिलते हैं।