एक गांव में पीपल का पेड़ था, उस पीपल के पेड़ पर बहुत सारे कौवे रहा करते थे। रात भर सारे कौवे उस पीपल के पेड़ पर आराम करते और सुबह होते ही खाने की तलाश में उड़ जाया करते थे।
एक दिन की बात है …सुबह होते ही सारे कौवे खाने की तलाश में उस पीपल के पेड़ से उड़ गए, मगर एक कौवा सोता रहा। जब वह सो कर उठा तो उसने देखा कि सारे कौवे खाने की तलाश में जा चुके हैं । अब वह भोजन की तलाश में गांव की तरफ निकल दिया। उसे कहीं पर भी खाना नहीं मिला। परेशान होकर वह एक छत पर जाकर बैठा, वहां पर उसे अच्छे पकवान की खुशबू आई। खुशबू वाले रास्ते पर जाकर उसने देखा कि एक बूढ़ी औरत पूड़ी बना रही है। वह कौवा पूड़ी को पाने की चाह में नीचे गया, मगर वहां पर एक कौवा पहले से बंधा हुआ पढ़ा था। बूढ़ी औरत ने कहा-” अगर तुम भी पूड़ी को चुराने की कोशिश करोगे तो मैं तुमको भी इसकी तरह बांध दूंगी।”
बूढ़ी औरत की ये बात सुनकर वह कौवा डर गया। कुछ देर बाद उसे एक तरकीब सूझी। वह कौवा दीवाल के पीछे जाकर एक बच्चे की आवाज में बोला-” दादी आप कहां हो जल्दी से आओ !”
यह आवाज सुनकर वह बूढ़ी औरत वहां से चली गई । उस बूढ़ी औरत के वहां से जाते ही चतुर कौवे ने अपने मुंह में ढेर सारी पूड़ी को दबाकर आसमान में उड़ गया और अपने घोसले में जाकर उनको रखकर मजे से खाने लगा।
इस तरह से उस कौवे ने अपने चालाकी से बहुत सारा खाना पा लिया और उसे अपने घोसलें में बैठ कर मजे से खाने लगा।