एक बार की बात है अकबर के दरबार में रमेश और सोहन नाम के दो व्यापारी आए। दोनों ने राजा को अपना परिचय दिया। दोनों राजा के पास न्याय के लिए आए थे।
रमेश ने राजा अकबर से कहा- “सोहन ने उसके 200 सोने के सिक्के ले लिए हैं, मगर वह अब उन्हें देने से इंकार कर रहा है।”
सोहन ने अपने बचाव में कहा- “नहीं महाराज! रमेश ने मुझे कोई पैसे उधार में नहीं दिए हैं। वह झूठ बोल रहा है। वह ऐसा इसलिए कर रहा है कि मुझे व्यापार में घाटा हो जाए।”
दोनों की बात सुनकर राजा सोच में पड़ गए और उन्होंने बीरबल को फैसला सुनाने के लिए कहा। बीरबल ने रमेश और सोहन की बातों को सुना और अकबर से कहा -” महाराज ! मुझे इनकी समस्या सुलझाने के लिए एक दिन का वक्त चाहिए।”
बीरबल अपने घर गया और अपने एक नौकर जिसका नाम रामू था उसे रमेश और सोहन के बारे में पता करने के लिए भेजा। रामू दोनों के बारे में पता करके आया और बीरबल से बताया कि रमेश एक ईमानदार व्यापारी है जबकि सोहन एक बहुत ही लुटेरा व्यापारी है। अब बीरबल ने रामू को गुड़ से भरे दो मटको में सोने का सिक्का डालकर उन्हें रमेश और सोहन को बेचने के लिए कहा और यह भी कहा कि दोनों में से देखना कि कौन सोने के सिक्के वापस करता है। रामू ने ऐसा ही किया।
जब रामू ने रमेश को सोने के सिक्का डला हुआ मटका बेचा तो उसने सोने के सिक्के को वापस कर दिया मगर सोहन ने नहीं वापस किया। यह बात रामू ने बीरबल को आकर बताया।
अगले दिन दरबार में दोनों व्यापारी उपस्थित हुए बीरबल ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा- “महाराज! रमेश सच बोल रहा है। उसने सोहन को 200 सोने के सिक्के दिए हैं।”
जब अकबर ने इसका तर्क पूछा तो बीरबल ने सारी बातें बताई। राजा अकबर ने सोहन को 200 सोने के सिक्के वापस करने का आदेश दिया और 100 सोने के सिक्के को जुर्माने के रूप में रमेश को देने का आदेश किया।