एक नदी के किनारे एक बहुत ही बड़ा आम का पेड़ था। उस पर खूब मीठे मीठे फल लगे थे। उस आम के पेड़ पर एक बंदर रहा करता था। बंदर का कोई भी मित्र नहीं था और वह उसी पेड़ पर अकेले रहा करता था। एक दिन भोजन की तलाश में एक मगरमच्छ नदी के किनारे उस पेड़ के पास आया। मगरमच्छ को देखकर बंदर ने उससे पूछा-” तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो?”

तब मगरमच्छ ने जवाब दिया-” मैं नदी में भोजन की तलाश करते करते थक गया, मगर मुझे कुछ भी नहीं मिला मुझे भूख लगी है और मैं यहां भोजन की तलाश में आया हूं।”

इतना सुनते ही बंदर ने मगरमच्छ के लिए बहुत सारे आम के फल नीचे गिराया, जिसे खाकर वह मगरमच्छ बहुत ही ज्यादा खुश हुआ और खुशी खुशी नदी में चला गया। अब मगरमच्छ रोज उस आम के पेड़ के नीचे आया करता और बंदर द्वारा दिया गया आम खाया करता था।

एक दिन मगरमच्छ ने अपनी पत्नी से यह बात बताएं । उसकी पत्नी बहुत ही ज्यादा लालची थी, वह मन ही मन सोची कि अगर वह बंदर इतने मीठे मीठे फल खाता होगा तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा। यही सोचकर एक दिन मगरमच्छ की पत्नी जानबूझकर बीमार पड़ गई और मगरमच्छ से बोली वैध जी ने कहा है कि तुम जब तक बंदर का कलेजा नहीं खाओगी तब तक तुम ठीक नहीं हो पाओगी। इसलिए तुम जाओ और अपने मित्र बंदर को यहां ले आओ, जिससे मैं उसका कलेजा खाकर ठीक हो जाऊ। मगरमच्छ ने पहले तो बहुत मना किया मगर अपनी पत्नी की जिद के आगे वह हार गया।

वह आम के पेड़ के पास आया तब बंदर ने उसके उदासी का कारण पूछा। मगरमच्छ ने बताया तुम्हारी भाभी तुमसे मिलना चाहती हैं । तब बंदर ने कहा “इसमें कौन सी बड़ी बात है लेकिन मैं जाऊंगा कैसे ?”

मगरमच्छ ने कहा-” उसकी चिंता मत करो मैं तुम्हें अपनी पीठ पर लाद कर ले जाऊंगा!”

बंदर ने कहा ठीक है । अब बंदर मगरमच्छ की पीठ पर बैठकर नदी में जाने लगा। नदी में जाने के बाद मगरमच्छ धीरे-धीरे पानी के अंदर जाने लगा और वह बंदर डूबने लगा। बंदर ने चिल्लाते हुए कहा-” अरे मित्र! अगर तुम ऐसे ही पानी के नीचे जाओगे तो मैं मर जाऊंगा। तब मगरमच्छ नहीं जवाब दिया-” वैसे भी तो तुम मरने ही वाले हो क्योंकि तुम्हारी भाभी तुम्हारा कलेजा खाएंगी। यह सुनकर पहले तो बंदर डर गया मगर उसने बड़ी ही चतुराई के साथ उस मगरमच्छ से कहा- “अरे मित्र! ऐसी बात थी तो तुमने पहले क्यों नहीं बताया।”

मगरमच्छ ने बोला कि अगर मैं तुमको पहले बताता , तो तुम मेरे साथ नहीं आते। बंदर ने बड़ी चतुराई से कहा-” मैं अपनी भाभी के लिए एक नहीं सौ कलेजे दे दूं!” मगर दुख इस बात का है कि मैं तो अपना कलेजा पेड़ पर ही भूल गया हूं।” बिना कलेजे के भाभी मुझे कैसे खाएंगी?”

इतना सुनते ही मुर्ख मगरमच्छ ने कहा कि ठीक है चलो तुमको पेड़ के पास ले चलते हैं और तुम अपना कलेजा लेकर आओ। जैसे ही मगरमच्छ नदी के किनारे पहुंचा, बंदर कूदकर पेड़ पर चढ़ गया और मगरमच्छ बोला ” अरे मूर्ख! कहीं कोई अपना कलेजा दूसरे जगह छोड़ कर आता है। विश्वास करके तुम्हारे साथ गया मगर तुम मुझे मारना चाहते थे। चले जाओ यहां से आज के बाद दिखाई मत देना।

यह सुनकर मगरमच्छ वहां से चला गया। वह अपने किए पर बहुत ही ज्यादा शर्मिंदा था।

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