एक बार की बात है! एक सेठ बाजार जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि कई कुत्ते मिलकर एक छोटे से पिल्ले को काट रहे हैं। सेठ जी ने उन कुत्तों को भगाया और पिल्ले को जख्मी हालत में अपने घर को लेकर आए। उस पिल्ले का सेठ जी ने इलाज करवाया और वह जल्दी ही ठीक हो गया। सेठ जी उसे अपने घर पर ही पाल लिए । वह हमेशा सेठ जी के घर पर ही रहा करता था और उनके द्वारा दिया गया खाना ही खाया करता था । धीरे-धीरे वह पिल्ला बड़ा हो गया । अब सेठ जी जहां भी जाया करते वह उस कुत्ते को भी अपने साथ में ले जाया करते ।
एक बार की बात है जब सेठ जी बाजार से अपना सामान बेचकर घर वापस आ रहे थे तो रास्ते में एक सुनसान जगह पर दो बदमाशों ने सेठ जी को रोककर उनसे जबरदस्ती पैसा छीनने लगे। जब सेठ जी ने इसका विरोध किया तो बदमाशो ने उनको चाकू दिखाकर जान से मारने की धमकी देने लगे। बदमाशों को पैसा छीनते देख कुत्ते ने उन दोनों बदमाशों पर हमला बोल दिया और उन्हें जोर-जोर से अपने दांतो से काटने लगा । सेठ जी अब बदमाशों के चुंगल से छूट चुके थे। वो जोर जोर से चिल्ला कर मदद मांगने लगे। सेठ जी का कुत्ता उन दोनों बदमाशों को अभी भी काट रहा था। अचानक एक बदमाश ने चाकू निकालकर उस कुत्ते को मार दिया और वह कुत्ता वहीं पर मर गया। तब तक सेठ जी के चिल्लाने की आवाज सुनकर काफी लोग वहां पर जमा हो गए और दोनों बदमाशों को पकड़ कर उनकी खूब पिटाई की और उसे कारावास में भेज दिया गया।
जिस तरह से सेठ जी ने उस कुत्ते की जान बचाई थी। उसी तरह उस कुत्ते ने भी अपनी वफादारी से उस सेठ का जान बचाने के लिए अपने जान की बाजी लगा दिया।