एक बार की बात है एक राज्य में एक बहुत ही अच्छा राजा राज किया करता था। उसका नाम सुदर्शन था। राजा सुदर्शन के दरबार में एक दिन एक महिला आई और उसने अपने बक्से से मखमली साड़ियां निकाली और पूरे दरबार में राजा को दिखाने लगी। राजा मखमली साड़ियों को देखकर बहुत ही खुश हुआ और ऐसी ही सुंदर साड़ियां बनाने के लिए उस औरत से कहा। औरत ने कहा-“महाराज! इन साड़ियों को बनाने में बहुत ही पैसे और समय लगता हैं क्युकी इनको विशेष तरह से बनाया जाता है।”

राजा ने कहा-” ठीक है मैं तुम्हें एक साल का वक्त देता हूं और तुम्हें शाही खर्चे पर महल में ही साड़ी बनानी है।”

यह सुनकर वह लालची औरत बहुत खुश हुई। वह महल के शाही खर्चे पर रहने लगी। धीरे-धीरे एक साल बीत गया। अब राजा अपने मंत्रियों को उस औरत के पास भेजें और उसे दरबार में पेश करने का आदेश दिया।

वह औरत दरबार में आई। उसने अपना बक्सा खोला मगर उसमें कुछ नहीं था । उसने बक्सा दिखाते हुए कहा-” देखिए महाराज! कितनी सुंदर साड़ी है!”

दरबार के सभी लोगों ने देखा मगर वह बक्सा खाली था। तब राजा सुदर्शन ने कहा-” यह तो खाली है!”

इस पर उस औरत कहा -” इस साड़ी को वही देख सकता है, जो कभी कोई पाप ना किया हो।”

पूरे दरबार के लोग सोच में पड़ गए कि ऐसा कौन व्यक्ति है जो जीवन में कोई पाप ना किया हो। तभी राजा के ही एक चालाक मंत्री ने राजा से कहा-” यह औरत हमें बेवकूफ बना रही है यह साड़ी के नाम पर आपके सुविधाओं का लाभ ली है। अभी मैं इसको सबक सिखाता हूं!”

उस चालाक मंत्री ने औरत से कहा-” चलिए मोहतरमा ठीक है! हम लोग तो कुछ ना कुछ पाप किए ही है, इसलिए हमे साड़ी दिखाई नहीं दे रहा है। अब आप इस साड़ी को पहनकर दिखाइए।”

यह सुनते ही वह औरत समझ गई कि उसकी चालाकी अब और नहीं चलने वाली है। वह राजा के सामने माफी मांगने लगी। मगर राजा ने उसे 6 महीने की सजा सुना दी। राजा ने अपने उस मंत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद का कहा।

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