एक गांव में बुझारत नाम का एक नाई रहता था। वह लोगों का बाल काट कर अपना जीवन यापन किया करता था। एक दिन जब वह बाल काट कर अपने घर आया तब उसकी पत्नी ने कहा कि उसके गांव का रमेश ग्वाला दूध के दाम बढ़ाकर 20 रुपए से 25 रुपए कर दिया। यह सुनकर बूझारत को बहुत गुस्सा आया, मगर वह कर भी क्या सकता था क्योंकि पूरे गांव में सिर्फ रमेश ग्वाला ही था, जो दूध बेचा करता था। बूझारत कहा-” चलो ठीक है! कोई बात नहीं अब हम कर भी क्या सकते हैं?”
एक दिन बुझारत नाई जब अपनी दुकान पर बाल काट रहा था तभी उसकी दुकान पर पड़ोसी गांव का एक आदमी आया। उसने बुझारत से पूछा-” तुम्हारे गांव में दूध कितने रुपए में बिकता है?”
बूझारत ने कहा-” क्या बताऊं भाई मेरे गांव में पानी जैसा दूध 25 रुपए लीटर बिकता है।”
यह सुनकर उस आदमी ने कहा-” मैं तुम्हें 20 रुपए लीटर ही दे सकता हूं!”
बूझारत ने कहा-” ठीक है! मैं तुम्हें बताता हूं कि कब से दूध लाना है।”
शाम होने के बाद बुझारत रमेश ग्वाला के घर गया। उसने रमेश से पूछा-” अरे भाई तुम्हारी दोनों भैंसे मिलकर कितना दूध दे देती हैं?”
तब रमेश ने कहा-” भगवान की कृपा से दोनों मिलकर 20 लीटर दूध देती हैं!”
फिर बुझारत ने पूछा- “तुम इस 20 लीटर दूध को कहां कहां देते हो?”
रमेश ग्वाला ने जवाब दिया-” 10 लीटर हलवाई को देता हूं, 5 लीटर जमीदार के घर देता हूं और बाकी एक एक लीटर करके 12 घरों में देता हूं।”
बुझारत नाई ने कहा-” अच्छा ! तो यह बात है तुम्हारी भैंसे 20 लीटर दूध देती हैं और तुम कुल मिलाकर 27 लीटर दूध बेचते हो! इसका मतलब तुम दूध में पानी मिलाते हो और गांव में दूध ना मिलने का फायदा लेकर तुम दूध को गाव में महंगा भी बेच रहे हो।”
बुझारत ने पूरे गांव में यह बात हल्ला कर दिया। सारे गांव वालों ने मिलकर रमेश ग्वाला की खूब पिटाई की। उसके बाद बुझारत ने सबको उस व्यक्ति के बारे में बताया जो सिर्फ 20 रुपए लीटर में एकदम शुद्ध दे दूध देने के लिए कहा था। अब सारे गांव वालों ने रमेश ग्वाला का दूध लेना बंद कर दिया और बगल के गांव वाले आदमी से दूध लेना चालू कर दिया। इस तरह से अपने लालची स्वभाव के कारण रमेश ग्वाला ने अपनी सारी कमाई के रास्ते को बंद कर दिया।
दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि लालच करने से हमारे अंदर गलत काम करने की प्रेरणा मिलती है।