एक बार की बात है एक राजा ने किसी बात की नाराजगी को लेकर अपनी महामंत्री को मौत की सजा सुना दी। उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि महामंत्री को आज शाम को सात बजे मौत के घाट उतार दिया जाएगा। राजा ने महामंत्री के घर पर अपने सैनिकों से संदेशा भिजवाया कि महामंत्री को जाकर बता दिया जाए उसे शाम को सात बजे मौत के घाट उतार दिया जाएगा।

कुछ सैनिक महामंत्री के घर पर पहुंचे। महामंत्री के घर का नजारा देखकर वे दंग रह गए क्योंकि घर पर बहुत ही खुशी का माहौल था। महामंत्री के घर पर उसके सभी रिश्तेदार और दोस्त आए हुए थे क्युकी उस दिन महामंत्री के बेटे का जन्मदिन था और सभी जश्न में खोए हुए थे। तभी सैनिकों ने महामंत्री को शाम को सात बजे मौत की सजा दिए जाने की बात बताई।

मौत की खबर सुनकर सभी रिश्तेदार एवं दोस्त दुखी हो गए। उन्होंने जश्न मनाना बंद कर दिया। तभी वहां पर महामंत्री आया उसने कहा-” जश्न मनाना बंद नहीं होगा!” उसने फिर से नाच गाने चालू करवा दीजिए सभी रिश्तेदार फिर जश्न में खो गए।

सैनिकों ने जाकर राजा को यह बात बताई की महामंत्री के घर पर जश्न चल रहा है और उसे मौत की सजा का समय पता चलने पर भी वह जश्न चालू रखा है। यह सुनकर राजा हैरान रह गया। वह अपने सैनिकों के साथ महामंत्री के घर गया। उसने महामंत्री से कहा-” क्या मूर्खता है! तुम को शाम को सात बजे मौत की सजा दी जाएगी और तुम यहां पर जश्न मना रहे हो।”

तब उस महामंत्री ने बड़े ही सरल स्वभाव में राजा को जवाब दिया-” महाराज मैं भगवान और आपका बहुत ही ज्यादा शुक्रगुजार हूं कि मुझे शाम तक का वक्त मिला है। मैं अपने वक्त को उदासी और पछतावे में क्यों गुजारू। मैं अपने हर एक पल को खुशी-खुशी जीना चाहता हूं। जब तक मेरी सांसे चल रही हैं अपनी जिंदगी को एक जश्न की तरह जीना चाहता हूं।”

महामंत्री की यह बात सुनकर राजा बहुत ही प्रसन्न हुआ। उसने महामंत्री के मौत की सजा को माफ कर दिया और उसे गले लगा कर कहा-” तुम्हें समय की कद्र बहुत ज्यादा है! तो भला मैं तुमको कैसे मार सकता हूं। तुम जैसे इंसान दुनिया में बहुत ही कम मिलते हैं जो अपने हर समय का उपयोग करके अपने जीवन को खुशी-खुशी जीते हैं।”

दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन के हर पल को खुशी-खुशी जीना चाहिए। हमारे पास भगवान ने बहुत ही सीमित समय दिया है उन सीमित समय में हम अपने आप और अपने चाहने वालों को जितना खुशी दे सकते हैं हमें देना चाहिए।

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