विंध्याचल की पहाड़ियों पर एक बहुत ही हिंसक से रहा करता था। वह जंगल में हाथियों, भैंसों, गधों और कई छोटे-बड़े जानवरों का शिकार किया करता था। एक दिन जब शेर शिकार करके अपने गुफा की तरफ वापस जा रहा था तो रास्ते में उसे एक बहुत ही मरियल सियार मिला। सियार ने हाथ जोड़कर शेर से कहा- हे जंगल के राजा! मैं आपका सेवक बनना चाहता हूं। अगर आप मुझे अपना सेवक बना ले तो मैं आपकी बहुत सेवा करूंगा और जो आपके द्वारा बचा हुआ खाना होगा वही मैं भी खा लूंगा।
शेर मान गया और उसके साथ मित्रवत व्यवहार करने लगा। वह जंगल में शिकार करता और बचे हुए मांस को उस मरियल सियार को खाने के लिए दे देता।
धीरे-धीरे सियार मोटा तगड़ा हो गया। अब वह भी अपने आप को शेर जितना ताकतवर समझने लगा । एक दिन उसने घमंड से और बड़े ही आंकड़े हुए शब्द में शेर से कहा- अरे भाई शेर! आज मैं एक जंगली हाथी का शिकार करके तुमको अपनी ताकत का प्रदर्शन करके दिखाऊंगा। तुमको मै अब दिखाऊंगा की मैं तुमसे अब कम नहीं। क्योंकि शेर उसे अपना मित्र मानने लगा था। इसलिए वह भी मान गया।
एक ऊंची जगह से सियार ने घात लगाकर एक हाथी के सिर पर हमला किया। मगर दुर्भाग्यवश सियार हाथी के पांव के नीचे गिरा और हाथी का पैर उसके ऊपर पड़ गया। हाथी का पैर पढ़ते ही सिगार के प्राण पखेरू उड़ गए। इस प्रकार सियार की जान उसके घमंड की वजह से चली गई।इसलिए दोस्तों कहा जाता है ज्यादा घमंड हमारे लिए हानिकारक होता है।