हिन्दू धर्म में करवा चौथ का व्रत महिलाये और कुवारी लड़किया रखती है यह व्रत हर सुहागिन महिलाओ के लिए दिन बहुत ही ज्यादा खास होता है इस दिन सुहागिन महिलाये अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखती है इस दिन बिना कुछ खाये पीये निर्जला व्रत रखती है और सोलह सिंगार करके नए वस्त्र पहनती है पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद रात के समय चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद अपने पति के हाथो से पानी पी कर अपना व्रत खोलती है और माता करवा ,माता पार्वती ,चंद्रदेव , भगवान शिव जी की आराधना करती है , और अपने पति को लंबी आयु की प्रार्थना करती है ,
तो आइये सुनते है करवा चौथ की व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार तुंगभद्रा नदी के पास देवी करवा अपने पति से साथ रहती थी एक दिन देवी करवा के पति नदी में स्नान करने गए थे, तभी एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खींच कर ले जाने लगा देवी करवा के पति ने करवा को पुकारने लगे आवाज को सुनकर जैसे ही करवा नदी के पास पहुंची तो उन्होंने देखा की मगरमच्छ उनके पति को मुँह में पकड़कर नदी में ले जा रहा है ,यह सब देखकर करवा ने एक कच्चा धागा लिया और उस मगरमच्छ को उस पेड़ से बाध दिया करवा का सतीत्व इतना मजबूत था कि वो कच्चा धागा टस से मस नहीं हुआ अब ऐसी स्थिति थी कि मगरमच्छ और करवा के पति दोनों के प्राण संकट में थे फिर क्या था करवा ने यमराज को पुकारा फिर करवा ने यमराज से प्रार्थना कि उनके पति को जीवनदान दे और मगरमच्छ को मृत्यु दे लेकिन यमराज ने मना कर दिया और बोले अभी मगरमच्छ की आयु अभी बाकि है तो उसे मृत्युदंड नही दे सकते और तुम्हारे पति की आयु शेष नहीं है यह सब सुनकर करवा क्रोधित हो गयी उन्होंने यमराज को शाप देने को कहा शाप के डर से यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और देवी करवा के पति को जीवनदान दे दिया ,
इसी कारण से सुहागिन महिलाये इस व्रत को रखती है और करवा माता से यही प्रार्थना है जैसे आपने अपने पति की प्राणो की रक्षा की वैसे ही आप मेरे सुहाग की रक्षा करियेगा | हमारी आपसे यही कामना है
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