बात बहुत पुरानी है। एक गांव में सुबोध नाम का एक ग्वाला रहता था। उसके पास बहुत सारी गाय थी । सुबोध उन सारी गायों के गले में घंटी बांधकर रखता था और उनमें से जो सबसे सुंदर गाय होती उनको और भी महंगी घंटी बांध कर रखता था।
गयो के गले में घंटी बांधने से यह लाभ होता था कि गाय जहां भी चरने जाती उनके घंटी की आवाज से सुबोध को पता चल जाता कि वह कितनी दूरी पर हैं।
एक बार की बात है , सुबोध अपनी गायों को एक बड़े चारागाह में चरा रहा था। तभी उसके पास एक ठग व्यक्ति आया। उसने सुबोध से पूछा- वह सुंदर गाय के गले में जो घंटी है उसकी क्या कीमत है?
सुबोध ने उस व्यक्ति से कहा- मैंने इसे बाजार से 40 में खरीदा था।
उस ठग व्यक्ति ने कहा- अगर मैं इस घंटी का तुमको 100 दूं , तो क्या तुम मुझे इसे दे दोगे।
सुबोध नहीं सोचा 100 में तो मुझे दो घंटे मिल जाएगी और कुछ पैसे भी बच जाएंगे। इसलिए उसने अपनी सुंदर गाय के गले से घंटी निकाल कर उस ठग व्यक्ति को दे दिया।
गले से घंटी निकलने के बाद गाय चरते चरते काफी दूर निकल गई और सुबोध को पता ही नहीं चला। इसी वक्त का ठग व्यक्ति इंतजार कर रहा था। वह आगे जाकर उस गाय को पकड़कर अपने साथ लेते लेकर चला गया।
सुबोध ने अपनी सुंदर गाय को बहुत खोजा मगर वह नहीं मिली। अंत में वह रोते हुए घर आया और अपनी मां से सारी बात बताया और कहा – मुझे नहीं पता था कि वह व्यक्ति मुझे घंटी का ज्यादा पैसा देकर ठग रहा था।
सुबोध की मां ने कहा- बेटा! अब ऐसे व्यक्ति से सावधान रहना जो हमें पहले बहुत खुश करते हैं और बाद में ठग के हमें अत्यंत दुखी कर देते हैं।
इसलिए दोस्तों कहा जाता है की लालच से हमें ज्यादा सुख नहीं मिलता है।