एक बार की बात है अकबर ने सोचा की आज हम देखते है की हमारे राजमहल के बाहर लोग क्या करते है | अकबर ने यह पता लगाने के लिए एक तरकीब सोचा , उसने एक भिखारी का रूप बना कर नीकलने का सोच | अकबर अभी कुछ ही दूर चले थे की उनको रास्ते में एक बूढा आदमी आम का पेड़ लगता दीख गया | वह बूढा आदमी बहुत ही ज्यादा उम्र का लग रहा था , वह उसके पास गए और बोले बाबा आप यह आम का पेड़ क्यों लगा रहे हो | बूढ़े बाबा ने जबाब दिया की बेटा मे कुछ समझ नहीं पाया की तुम क्या कहना चाहते हो |
इस पर अकबर ने बोला – जबतक यह पेड़ बड़ा होगा तबतक तो आप जीवित नहीं रहोगे फिर भी आप यह आम का पेड़ लगा रहे हो | इस पर उस बूढ़े आदमी ने जबाब दिया – बेटा जब मे जवान था तब मैंने कोई आम का पेड़ नहीं लगाया था , लेकिन फिर भी हम ने आम खूब खाया | आप ने भी खूब खाया होगा , तो मैंने सोचा की कुछ आम का पेड़ लगा दू ताकी हमारे आने वाले बच्चे यह नहीं बोले की हमारे बड़ो ने कुछ किया नहीं |
यह बात सुनकर अकबर का दिल खुश हो गया और वह इस बात को समझ चूका था की हर चीज मे अपने स्वार्थ को नहीं देखना चाहिए |
हम लोग भी आज ऐसी ही बन गए है की हर चीज मे अपना फ्यूचर जरुर देखते है और सोचते भी है की इससे हम को लाभ होगा की नहीं | यदी हम को लाभ है तो हम उस काम को करते है और अगर हम लोगो को लाभ नहीं है तो हम लोग उस काम को नहीं करते है | तो दोस्तों इस कहानी से हम लोगो को यही सीख मिलती है की हर चीज मे अपना स्वार्थ मत देखा करे , कभे कुछ दूसरो के लिए भी किया करे |
आप लोगो को यह कहानी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताये |