क्या आपको लगता है ईश्वर ने आपको जीवन में काम दिया है, और दूसरों को आपसे ज्यादा दिया है अगर आप अपनी तुलना दूसरों से करके दुखी होते है तो यह कहानी आपके लिए है |
एक कौआ पेड़ की डाली पर बैठ कर रो रहा था तभी कौआ का एक बूँद आँसू पेड़ के नीचे बैठे सन्त पर जा गिरा
तभी संत ने कौए से पूछा क्या हुआ आप रो क्यों रहे है | तभी कौआ ने बोला हे संत मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ , क्योकि मेरा रंग काला है , मुझसे लोग घृणा करते है मुझे लोग अशुभ मानते हैं , सब मुझसे नफरत करते है तभी संत ने बोला मित्र तुम चिन्ता मत करो मैं अपनी शक्ति से तुम्हे सुन्दर बना सकता हूँ यह सुनकर कौआ बहुत खुश हुआ वह बोला मैं हंस बनना चाहता हुँ आप मुझे हंस बना दे , संत ने बोला ठीक है, मैं तुम्हे हंस बना दूँगा लेकिन तुम हंस से पूछ कर आओ की वह अपने जीवन से खुश है | कौआ हंस से पास जाता है और हंस से पूछता है मित्र तुम तो अपने जीवन में बहुत खुश होंगे तुम दूध जैसे सफ़ेद हो , हंस ने बोला नहीं मित्र सफ़ेद रंग भी कोई रंग होता है भला क्या सफ़ेद रंग तो लोग किसी के मरने के बाद पहनते है | मेरे ख्याल से तोता सबसे ख़ूबसूरत और संतुष्ट पक्षी है उसके पास प्रकृति के सारे रंग है |
कौआ तोते के पास जाता है और बोलता है तुम इस दुनिया के सबसे खुश और संतुष्ट पक्षी हो तभी तोते ने बोला नहीं मित्र मैं इस दुनिया का खुश पक्षी नहीं हूँ , इस दुनिया का सबसे खुश पक्षी तो मोर है उसके पास तो सबसे ज्यादा रंग है , कौआ अब मोर के पास पहुँचता है और बोलता है, हे मित्र तुम इस दुनिया के सबसे खूबसूरत पक्षी हो तुम्हारे पास तो प्रकृति के सबसे ज्यादा रंग है | तुम सबसे खुश पक्षी हो मोर ने जबाब दिया नहीं मित्र मैं खुश नहीं हूँ , क्योकि मेरी इन सुन्दर पंखो के कारण लोग मेरा शिकार करते है, उसके बाद मेरे शरीर के मेरे पंखो को नोचा जाता है| जिससे लोग अपना घर सजाते है, मेरी सुंदरता के कारण लोग मुझे चिड़ियाघर में रखते है| और पिंजरे ने बंद कर देते है, इसलिए मैं अपने जीवन से बिल्कुल खुश नहीं हूँ , यह सुनकर कौआ को धक्का लगा उसने मोर से पूछा यदि आप खुश नहीं हो तो इस दुनिया में सबसे खुश पक्षी कौन है| मोर ने कहा तुम कौआ इस दुनिया के सबसे खुश पक्षी हो, क्योकि लोग तुम्हारे शिकार नहीं करते है, कोई तुम्हे पिंजरे में बंद नहीं करता है| तुम बिना किसी डर के कही भी उड़ सकते हो तुम्हे किसी बात का खतरा नहीं है| काश मैं भी कौआ होता यह सुनकर कौआ वह से चला गया और संत के पास गया और कहा – हे महात्मा मुझे मेरी गलती समझ आ गयी है , मुझे और कुछ नहीं बनना | मैं जो हूँ खुश हूँ |
दोस्तों उस कौए की तरह हम भी खुद की तुलना दूसरो से करते है | और दुखी होते है, क्योकि हम वही देखते है जो हमारे पास नहीं है और दूसरो के पास है, लेकिन यह नहीं देखते जो हमारे पास है वह दूसरो के पास नहीं है |