एक बार की बात है एक गावँ में एक बूढी माँ रहती थी | वह बहुत ही गरीब थी और बड़ी ही मुस्किल से अपने आप को रखती थी | एक दिन बूढी माँ की सुई गिर गयी और वह रोड के लाइट मे आकर सूई को ढूढने लगी , तभी वहा से एक आदमी जा रहा था | उसने बोला अम्मा क्या कर रही हो , अम्मा ने बोला – बेटा मेरी सूई गुम हो गयी है उसी को खोज रही हू | बूढी माँ के साथ वह भी सूई खोजने मे लग गया |
कुछ देर बाद कुछ लोग और आये वो लोग भी सूई को खोजने लगे और देखते ही देखते पूरा गावं आ गया और बुदी माँ की सूई खोजने लगा | जब बहुत कोसिस करने के बाद सूई नहीं मिली तो किसी ने पूछा अम्मा सूई गिरी कहा थी | बूढी माँ ने बोला सूई झोपडी मे ही गिरी थी , सब लोग बूढी अम्मा पर बहुत ही ज्यादा नाराज होने लगे और बोले आप यहाँ क्यों खोज रही थी |
बूढी माँ ने बोला – यहाँ लाइट थी इसलिए ही यहाँ खोज रही हू |
दोस्तों इस कहानी से यही पता चलता है की हम लोग अपनी लाइफ मे बिना सोचे कुछ भी काम करने को तयार हो जाते है और यह नहीं सोचते है की इसका अंजाम क्या होगा | जिस तरह बूढी माँ की सूई झोपड़ी मे गिरी थी पर वह रोड की लाइट मे खोज रही थी , इसी तरह हम लोग भी अगर कोई एक काम मे आगे है तो सब लोग वही काम स्टार्ट कर देते है | कुछ अलग करो तभी आप आगे जा सकते हो , नहीं तो आप सफल नहीं हो पावोगे ||