यह कहानी एक सच्ची घटना से प्रेरित है। हाल ही में एक शहर में एक महिला रहा करती थी। एक दिन जब महिला व बाजार से सब्जियां लेकर घर वापस आ रही थी तो उसे रास्ते में एक कुत्ते का पिल्ला नाली में गिरा हुआ पड़ा मिला। उसने उस पिल्ले को घर पर ले आया। उसे साफ सुथरा करके उसे खाना खिलाया और फिर उसे गली में छोड़ दिया। मगर कुत्ता बार-बार उस महिला के घर पर आकर रहने लगा। महिला भी उसे रोज खाना खिलाया करती। धीरे-धीरे वह बड़ा होने लगा । अब मौसम बदलने पर महिला उसके लिए मौसम के अनुसार अनेक व्यवस्थाएं भी करने लगी, जैसे बारिश से बचने के लिए उसके लिए एक छोटा सा घर बना दिया। जिससे वह बरसात और धूप से बच सके। धीरे धीरे उस कुत्ते के पिल्ले का लगाव महिला के प्रति बढ़ता गया।
एक दिन की बात है उस महिला की तबीयत अचानक बिगड़ गई। अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने बताया कि उसे कोरोना वायरस का इंफेक्शन हो गया है, जल्द ही दवाई ना की गई तो महिला की जान जा सकती है। महिला के घर वालों ने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया लेकिन कुछ ही दिनों में उस महिला की मृत्यु हो गई । महिला के घर वालों ने उसका अंतिम संस्कार करने के लिए पास के ही एक मुक्तिधाम पर ले गए । जब महिला को मुक्तिधाम पर ले जाया जा रहा था, तब वह कुत्ता भी भीड़ के साथ साथ उस मुक्तिधाम पर चला गया। महिला के घर वाले उसका अंतिम संस्कार करके घर चले आए। दो-तीन दिन बाद महिला के घर वालों ने पाया की वह कुत्ता घर में नहीं है , तो उस कुत्ते को खोजने वह सब निकल पड़े काफी देर खोजने के बाद परिवार वालों को पता चला कि वह कुत्ता उस मुक्तिधाम पर ही पड़ा हुआ है और अपनी मालकिन के आने का इंतजार कर रहा है। परिवार वाले वहा गए और उस कुत्ते को घर लाने के लिए बहुत प्रयास किए। मगर वह कुत्ता घर नहीं वापस आया। जहां पर उस महिला का अंतिम संस्कार किया गया था , वह वहीं पर बिना खाए पिए लेटा हुआ था और उस महिला के वापस आने का इंतजार कर रहा था । कुछ दिन बाद उसके घर वाले फिर मुक्तिधाम पर गए उन्होंने देखा कि कुत्ता अब मर चुका था।

इस कोरोना महामारी के दौर में उस कुत्ते ने साबित कर दिया की वफादारी क्या होती है। यह उन लोगों के मुंह पर जोर का तमाचा है जो इस महामारी के दौर में इंसान इंसान का दुश्मन बना पड़ा हुआ है।

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