रोहित और सुमित दो अच्छे मित्र थे। एक दिन वह गांव से दूर स्थित एक शहर में कुछ सामान लेने गए। सामान लेकर जब दोनों वापस घर लौट रहे थे, तो काफी अंधेरा हो चुका था और वह रास्ता भटक गए।
घूमते घूमते उन्हें कुछ देर बाद एक आशियाना मिला। आशियाने के मालिक ने उन्हें एक कमरे में सोने के लिए जगह दे दिया। जब दोनों मित्र सोने जा रहे थे तब कमरे के बाहर से आवाज आई-” कल सुबह बहुत मजा आने वाला है क्योंकि सुबह-सुबह दो बच्चों को हलाल किया जाएगा और उनका मांस खाने में बहुत ही मजा आएगा।”
उनकी आवाज सुनकर रोहित और सुमित के होश उड़ गए वे बहुत ही ज्यादा डर गए और आपस में बात करते हुए कहने लगे-” यहां का मालिक तो बहुत ही बड़ा हत्यारा है। अब ये सब मिलकर हमें मार डालेंगे।”
यही सोचकर वे रात में ही उस घर से भागने का विचार बना लिए। जब वे घर से भाग रहे थे तो उन्होंने पाया कि घर के गेट में ताला लगा हुआ है। अब वे दोनों और भी ज्यादा घबरा गए और भागकर बगल में सूअर के तबेले में जाकर छुप गए।
सुबह हुआ। आशियाने का मालिक तबेले में पहुंचा और अपने नौकर से कहा- जाओ! दोनों बच्चों को पकड़ कर लाओ। आज यह उनका अंतिम दिन है।
तबेले में छुपे रोहित और सुमित रोते हुए बाहर आए और आशियाने के मालिक के पैर पकड़कर कहने लगे- “मुझे मरना नहीं है, कृपया मेरी जान बख्श दीजिए।”
यह देख कर आशियाने का मालिक बोला- भला मैं तुम लोग को क्यों मारूंगा।
तब रोहित बोला- आप लोग रात में बात कर रहे थे तो हमने सुना था। आपलोग दो बच्चो को जान से मारकर खाने की बात कर रहे थे।
यह सुनकर आशियाने का मालिक जोर जोर से हंसने लगा और कहा मैं सूअर के दो बच्चों की बात कर रहा था। जिन्हें मैं इसी प्रकार से बुलाता हूं। भला मैं तुम लोगों को क्यों मारूंगा।
यह सुनकर रोहित और सुमित के जान में जान आई और वह और वे दोनों सुबह होते ही अपने घर के लिए रवाना हो गए।