एक राजा था। उसके महल में एक राजकुमार था। राजकुमार एक दिन पानी पीने जा रहा था तो इसके गिलास में एक सांप का बच्चा बैठा हुआ था। राजकुमार ने उसे नहीं देखा और पानी पी गया। सांप का बच्चा राजकुमार के पेट में ही रहने लगा और वहीं पर राजकुमार के पेट के अंदर का थोड़ा-थोड़ा मांस खाकर मोटा तगड़ा होने लगा। जिसकी वजह से राजकुमार के पेट में हमेशा दर्द बना रहता था। उसे देश विदेश के बहुत सारे वैद्यों ने उपचार के लिए दवाइयां दी, मगर वह नहीं ठीक हुआ। अंत में परेशान होकर वह अपने राजमहल को छोड़कर के दूर शहर में एक मंदिर पर जाकर भिक्षा मांग कर अपनी अपना जीवन यापन करने लगा।
वह राजकुमार अब बहुत ही गरीब हो चुका था। उसके पास खाने-पीने की बहुत ही किल्लत हुआ करती थी। एक दिन की बात है! राजकुमार अपनी पत्नी के साथ नदी में स्नान करने नदी के किनारे गया। वह स्नान करके नदी के किनारे विश्राम करने लगा और उसकी पत्नी नदी में नहाने चली गई। विश्राम करते करते वह राजकुमार सो गया।
राजकुमार के सोते ही पेट वाला सांप उसके मुंह से बाहर निकल कर बैठ गया। बगल में ही एक बिल से दूसरा सांप यह सब देख रहा था। उसने उस पेट वाले सांप से कहा तुम्हें शर्म नहीं आती इतने अच्छे राजकुमार के पेट में बैठ कर उसकी जिंदगी चौपट कर रहे हो। अगर राजकुमारी चाहे तो राजकुमार को नीम का तेल पिला करके तुमको मार सकती हैं।
पेट वाला सांप उस बिल वाले सांप से कहा- हमें भी पता है तुम जिस बिल में बैठे हो उसके अंदर एक सोने की मटकी है । उसमें मिट्टी का तेल डालकर तुमको भी तो मारा जा सकता है।
दोनों सांपों की बात राजकुमारी ने सुन लिया और राजकुमार को नीम का तेल पिलाकर उस पेट वाले सांप को मार डाली और बिल वाले सांप के बिल में मिट्टी का तेल डालकर उसे भी मार डाली और सोने का घड़ा भी पा गई।
अब वो राजकुमार सोने का घड़ा बेचकर अमीर हो गया और खुशी-खुशी अपने वतन वापस लौट गया। दोनों सांपों ने अपना-अपना भेद बता कर के खुद का सर्वनाश कर लिया इसलिए दोस्तों कहा जाता है कि अपना कोई भेद कभी भी किसी के सामने खोलना चाहिए।