सूर्यदेव को जल चढ़ाने की कुछ महत्वपूर्ण विधि –
आप सब यह जानते है की सूर्यदेव की जल चढ़ाना कितना लाभकारी है लेकिन इसके नियम क्या है ये बहुत काम लोग ही जानते है | कई लोग सूर्यदेव को जल चढ़ाने की विधि और नियम नहीं पता है वे किसी भी समय सूर्यदेव को जल चढ़ा देते हैं |
सूर्यदेव को जल चढ़ाते वक्त कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिसकी वजह से उन्हें सूर्यदेव को जल चढ़ाने का पूर्ण फल नहीं मिलता है इसलिए आपको सूर्य को जल चढ़ाने का समय व नियम पता होना बहुत जरूरी है |
आज हम आपको सूर्यदेव को जल चढ़ाने का विधि बताने वाले है इससे आपको पता चलेगा सूर्यदेव को जल कब जल चढ़ाना है और कब नहीं, अगर कोई व्यक्ति सूर्य को जल चढ़ा रहा है | तो उसे 5 नियमों का पालन करना आवश्यक हो जाता है | अगर कोई व्यक्ति विधि पूर्वक करता है तो उसे सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होती है |
इन नियमों में सूर्यदेव को जल देना का सही समय और मंत्र दिशा के बारे में विस्तार से बताया गया है तो चलिए जानते है |
- सूर्यदेव को जल चढ़ाने का समय सुबह उठकर स्नान करके जल चढ़ा सकते है, चाहे सुबह के 9:00 बज रहे हो या उससे भी ज्यादा लेकिन हम आपको बता दे यह बिल्कुल भी सही नहीं है, सूर्यदेव को जल चढ़ाने का एक निश्चित समय होता है | सूर्य को जल देने का सही समय सूर्य उदय का समय होता है |
- सूर्यदेव की जल देते समय लाल फूल, कुमकुम, अक्षत, मिश्री आदि मिलाकर जल दे | जल चढ़ाने के बाद सीधे हाथ की अंजुली में जल लेकर अपने चारों और छिड़कें और तीन बार घूमे |
- सूर्य को कभी भी बासी जल न चढ़ाये, जल चढ़ाने का सबसे अच्छा मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे अच्छा माना जाता है |
- सूर्य उदय होने के एक से दो घंटे के बीच आप सूर्यदेव को जल चढ़ा सकते है यह सबसे अच्छा समय होता है | अगर आप इस समय के बीच सूर्यदेव को जल चढ़ाते है तो यह आपके लिए बहुत ही शुभ होता है | क्योंकि धीरे -धीरे सूर्यदेव की किरण का प्रभाव तेज हो जाता है ऐसा करने से हमें बिल्कुल भी लाभ नहीं देती है, बल्कि हमें हानि भी पहुंचा सकती है |
- सूर्य को जल देते समय सूर्य मन्त्र का जाप कर |