आंशुओ की कीमत पर पुरस्कार नहीं – चैतन्य महाप्रभु की कहानी | Chaitanya Mahaprabhu story

गंगा अपनी लहरो से किनारो को दुलारते हुवे मंद - मंद गति से  आगे बढ़ रही थी | तट पर मल्लाह , यात्रियों के आने के प्रतीक्षा कर रहा था…