एक गांव में रामदीन नाम का एक बहुत ही गरीब किसान रहा करता था। उसके पास एक मुर्गी थी, जो रोज एक अंडा दिया करती थी। जब रामदीन के पास खाने को कुछ नहीं हुआ करता था, तो वह मुर्गी का अंडा खा कर सो जाया करता था।
रामदीन का पड़ोसी दशरथ उससे बहुत जलता था। एक दिन जब रामदीन किसी काम को लेकर बाजार गया था, तभी दशरथ ने मौका देखकर उसकी मुर्गी को पकड़कर उसे मारकर खा गया। जब रामदीन आया तो उसने अपनी मुर्गी को ना देख कर इधर-उधर खोजना चालू किया। उसने देखा कि दशरथ के घर पर मुर्गी का पंख बिखरा हुआ है। उसने पूछा तो दशरथ ने साफ साफ मना कर दिया। उसने कहा कि हमारी बिल्ली ने एक मुर्गी को पकड़ कर लाया था , मैं उसे मारकर खा गया, क्या पता कि वह किस की मुर्गी थी?
काफी कहासुनी के बाद दशरथ ने रामदीन को एक बत्तख का बच्चा दे दिया। रामदीन ने बत्तख के बच्चे को पाल पोस कर बड़ा किया। एक दिन एक साधु बारिश में भीगते हुए दशरथ के घर आए और पनाह के लिए उससे इजाजत मांगी। मगर दशरथ ने मना कर दिया। अब वे साधु रामदीन के घर गए। रामदीन ने उन्हें अपने घर पर रखा। अगली सुबह जब वह साधु जा रहे थे, तब उन्होंने बत्तख के सिर पर हाथ रखा। बत्तख के सिर पर हाथ रखने के बाद जब भी बत्तख अंडा देता, तो वह सोने का अंडा देता था। धीरे-धीरे रामदीन सोने के अंडे बेच कर काफी अमीर हो गया।
अब दशरथ ने उस बत्तख को पाने की चाह में उसे चुरा लिया। अब दशरथ के घर पर वह अब तक रोज अंडा सोने का अंडा दिया करता था। एक दिन दशरथ ने सोचा कि इसके पेट से सारे सोने के अंडे को क्यों ना एक ही दिन में निकाल ले। यही सोचकर दशरथ ने बत्तख का पेट फाड़ दिया। उसके पेट से कुछ नहीं निकला। दशरथ अपनी लालच की वजह से उसको खो चुका था। इसलिए दोस्तों कहा जाता है हमे लालच और चोरी नहीं करनी चाहिए क्यूकी इसका परिणाम बहुत ही बुरा होता है।