एक बार की बात है, एक जंगल में एक बार एक भेड़िया शिकार करने निकला । शिकार की तलाश में वह एक मोटे पेड़ के खोखले तने में घुस गया , जहां पर उसे एक बड़ा सा अंडा दिखा । भेड़िए ने सोचा “चलो अंडे को खा कर ही अपना भूख मिटा लेते हैं।” उसने ज्यों ही अपने मुंह में उस अंडे को डाला , उस अंडे से एक छोटा सा सारस का बच्चा निकला। सारस के बच्चे को देखकर भेड़िए को दया आ गया। उसने उसे नहीं खाया और अपने साथ लेकर चला गया । सारस का बच्चा भेड़िए के साथ ही रहने लगा । भेड़िया उस सारस के बच्चे के लिए खाना लाता और उसे खूब दुलार प्यार से खिलाता। धीरे धीरे सारस का बच्चा बड़ा होने लगा । वह पास की झील से मछलियों को पकड़ कर लाया करता और भेड़िए के साथ मिलकर खाया करता था। दोनों की जिंदगी काफी मजे से गुजर रही थी । एक दिन की जब भेड़िया मछलियों को पकड़ रहा था , अचानक उसका पैर फिसल गया और वह झरने के साथ नीचे गिरने लगा सारस के बच्चे ने उड़कर भेड़िए को पकड़ लिया। मगर वह भेड़िए का वजन नहीं सह पा रहा था और दोनों काफी तेजी से नीचे गिरने लगे। अचानक दो बड़े सारस भेड़ियों को पकड़ लिए और उसे बचाकर किनारे पर रख दिए। उन दोनों बड़े सारस को देखकर भेड़िया समझ गया कि यह छोटे सारस के मां-बाप ही हैं। उसने छोटे सारस को उन दोनों बड़े सारस के साथ जाने के लिए कहा मगर छोटा सारस अपने मां बाप के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हो रहा था । तब भेड़िए ने उसे सच्चाई को बताया और उसे गले लगाते हुए बोला कि तुम्हारे मां बाप तुम्हारा मुझसे ज्यादा ख्याल रखेंगे और तुम अपने परिवार में खुश रहोगे । यह सारी बातें सुनकर छोटा सारस अपने मां बाप के साथ आसमान में उड़ गया। भेड़िया उनको तब तक देखता रहा जबतक की वे उसकी आंखो से ओझल नहीं हो गए। भेड़िया भी खुशी खुशी अपने घर चला गया ।