रामपुर नाम के गाँव में एक पति – पत्नी रहते थे | उनका नाम विक्रम और सुशीला था | वो दोनों की कोई संतान नहीं थी वो बहुत परेशान रहने लगे अनेक मन्नतो के बाद विक्रम और सुशीला को एक बेटी हुई | जिसका नाम शोभा था , वह अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था | कुछ साल बीत गए अब शोभा 25 साल को हो गयी थी , विक्रम को उसकी शादी की चिंता होने लगी | विक्रम ने सोचा की अब शोभा 25 साल की हो गयी है क्यों न अब इसकी शादी कर दिया जाये , यह बात विक्रम ने सुशीला को बोला –
सुशीला इस बात को मान गयी , विक्रम बोलता है ठीक है मै लड़का देखना शुरू करता हूँ | अगले दिन विक्रम ने सुशीला से कहा मेरे दोस्त ने एक लड़का बताया है , लड़का डॉक्टर है और उसके पिता जी का बहुत बड़ा करोबार है , इतना अच्छा घर मेरी बेटी को नहीं मिलेगा | तभी सुशीला बोलती है अगर उन लोगो ने दहेज़ की मांग किये तो , विक्रम बोलता है इतना मत सोचे तो, क्या हुआ अगर उन लोगो ने दहेज़ की मांग किये तो मेरी एक ही बेटी है मैं अपनी सारी जमा पुंजी उसकी शादी में लगा दूंगा | मैं उसकी शादी बड़े ही धूम- धाम से करूँगा , तभी शोभा रोती हुई आयी और बोली माँ मै शादी नहीं करुँगी मै आप लोगो को छोड़ कर नहीं जाऊंगी , मेरे बाद आप लोगो का देखभाल कौन करेगा | उसकी माँ उसे समझाती है कि एक न एक दिन हर लड़की को अपना मायका छोड़ कर ससुराल जाना पड़ता है | विक्रम बोलता है ये सब छोड़ो अगले हफ्ते लड़के वाले शोभा को देखने आ रहे है | अगर दोनों बच्चे एक दूसरे को पसंद कर लिए तो समझो शादी पक्की , फिर एक दिन संजय और उसके माता- पिता विक्रम के घर पहुंचे | तभी संजय की माँ संजय के कान में धीरे से बोलती है लड़की तो सुन्दर है लेकिन घर को देखकर ऐसा नहीं लगता ये लोग कुछ दहेज़ देंगे | संजय बोलता है चुप रहो माँ बाद में देखते है तभी संजय के पिता जी बोले हमें लड़की पसंद है अगर आपको लड़का पसंद हो तो रिश्ता पक्का
विक्रम संजय के पिता से कहते है अगर कोई लेनदेन की बात हो तो आप पहले बता दे | संजय के पिता बोलते ये क्या कह रहे है भाई साहब भगवान का दिया सब कुछ है मेरे पास बस आप बारातियों का स्वागत कर दीजियेगा | इतना कह कर वो सब वहाँ से चले जाते है , विक्रम और सुशीला बहुत खुश होते है | विक्रम अपनी बेटी की शादी अपनी हैसियत से भी ज्यादा किया था | बड़े धूमधाम से शादी की शोभा की –
शोभा अपने ससुराल पहुंची सभी लोगो ने शोभा की स्वागत किया |वहाँ खड़े मेहमानों ने शोभा की बहुत तारीफ किया तभी संजय की माँ की कुछ सहेलियाँ आयी हुई थी | उन्होने उससे पूछा बहू दहेज़ में क्या लायी है |संजय की माँ बोलती है वही सब है जो लड़किया लाती है | बस सोने की हार और अँगूठी दी है | भला आज के ज़माने में यह कौन देता है मेरी पड़ोसन की बहू ने तो हीरो का हार दिया था| उसकी सहेली बोलती है कोई बात नही जो दिया सब ठीक है | वह पर खड़े संजय के दोस्तों ने कहा तेरे तो मजे है तुझे तो फोर व्हीलर मिले है , संजय बोलता है कोई मजे नहीं है क्या माँगा था और क्या दिया है | मैंने तो मर्सिडीज गाड़ी मागी थी , ये सब सुनकर वहाँ खड़ी शोभा रोने लगती है और सोचती है मेरे पिता जी अपने जीवन की सारी कमाई लगा दी | लेकिन उसके ससुराल वाले खुश नही थे , इसी तरह दिन बीतते गए , शोभा को बात बात ताने मारा करती थी | शोभा चुपचाप सब सुना करती थी |
एक साल बीत गए शोभा माँ बनने वाली थी वही संजय आये दिन शराब पिया करता था और शोभा को मारा करता था| लेकिन ये सब बाते वह अपने पिता और माता को भी नहीं बताया , एक दिन शोभा की सास बोली देख शोभा अगर लड़का हुआ तो इस बार मैं हीरो का हार लूंगी, तुम अपने पिता जी को बता देना , कुछ दिन बाद शोभा को लड़का हुआ शोभा बहुत खुश थी लेकिन वह अंदर से दुखी थी | वह सोच रही थी लड़का होने पर ये लोगो को डिमांड और बढ़ जाएगी | मै अपने माता पिता से कैसे कहूँगी , तभी संजय सामान की लिस्ट लाता है और शोभा को दे देता है | ये लो लिस्ट जो तुमको अपने मायके से मगंवाना है | शोभा बोलती है मैं अपने मायके वालो से बिल्कुल भी जी कहूँगी, संजय बोलता है देखो शोभा उनके मरने के बाद उनका सब कुछ तुम्हारा हो जायेगा न , तुम तो उनकी इकलौती लड़की हो तभी शोभा गुस्से में संजय को एक तमाचा लगा देती , तमाचा लगते ही संजय आग बबूला हो जाता है और वह शोभा को मारने लगता है कुछ देर बाद संजय कि माँ वहाँ पहुंच जाती है | और संजय अपनी माँ को सारी बाते बताता है | तभी दोनों मिलकर शोभा की रसोई घर में ले जाते है और शोभा के ऊपर पेट्रोल छिड़ककर उसको जलने जाते है शोभा जोर- जोर चिल्लाती है | तभी पड़ोस के कुछ लोगो को शोभा की चिल्लाने की आवाज आती है तभी कुछ पड़ोसी संजय के घर पहुंचते है , संजय अपने पड़ोसियों को देखकर डर जाता है | और वह से भागने की कोशिश करता है लेकिन वह भाग नहीं पाता है | पड़ोसी माँ और बेटे को पकड़ लेते है और शोभा की जान भी बचा लेते है , कुछ देर बाद वहाँ पुलिस भी आ जाती है शोभा सारी बात पुलिस को बताती है , फिर पुलिस उन दोनों को गिरफ्तार करके जेल में डाल देता है | शोभा अपने पड़ोसियो का धन्यवाद करके वह अपने माता पिता के पास वापस चली जाती है |और अपने पिता को सारी बात बताती है | विक्रम बोलता है इतना कुछ हो गया मेरी बेटी ने मुझे एक बार भी नहीं बताया | शोभा की माँ और पिता दोनों शोभा को गले लगा करके रोने लगते है |
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