हम सब लोग डे ब्य दे सेल्फिश होते चले जा रहे है , दुनिया में मानवता नाम की चीज ख़तम होती चली जा रही है । आज की कहानी जरूर पूरा पढ़े , क्युकी यह आप की आँख को खोल देगी । रमन और बंसी बहुत ही अच्छे दोस्त थे दोनों एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे , रमन बहुत ही चालक था और बंसी उतना चालक नहीं था । लेकिन वो अपने आप को बहुत ही चतुर समझता था ।
एक दिन की बात है की बंसी और रमन खेत में जा रहे थे तभी उनको गाजर का दो पेड़ दिखाई दिया । बंसी दौर कर गया और जो सबसे बड़े पाती वाली गाजर थी उसको उखाड़ लिया और बोला मैं तो सबसे बड़ा गाजर पा गया , लेकिन जब थोड़ी देर बाद रमन ने काम पाती वाली गाजर को उखाड़ दिया तो बंसी देखता ही रह गया और बोला ऐसा कैसे हो सकता है । हुवा यह की रमन की गाजर बंसी की गाजर से बहुत ही बड़ा था । फिर क्या था दोनों गाजर खा कर आगे ही बढे थे की उनको एक और गाजर का खेत मिल गया और इस बार बंसी ने चालाकी दिखते हुए पहले ही जाकर काम पाती वाली गाजर को उखाड़ लिया और चिल्ला कर बोलने लगा इस बार तो मैंने बड़ा वाली गाजर पा लिया है । लेकिन थोड़ी देर बाद जब रमन ने उस बड़ी पाती वाली गाजर को उखाड़ दिया तो वह बंसी की गाजर से बहुत ही बड़ा निकला । यह देख बंसी बहुत ही उदाश हो गया और बोला ऐसा क्यों हो रहा है , मैं हर बार ही छोटी गाजर ही क्यों पा रहा हूँ ।
थोड़ी दूर और चलने के बाद जब कुछ और खेत दिखाई दिया तो इस बार बंसी ने रमन से बोला तुमको गाजर चूज करना है इस बार , रमन गया और थोड़ी देर गाजर को देखता रहा और उसके बाद उसने एक गाजर को उखाड़ दिया और इस बार भी रमन की गाजर बड़ी निकली , यह सब देख बंसी बहुत ही उदाश हो गया और सोचने लगा हर बार मुझको छोटी ही गाजर खाने को मिलती है । लेकिन रमन बुद्धिमान होने के साथ सहयोगी भी बहुत था , उसने अपनी बड़ी गाजर को बंसी को दे दिया और उसने छोटी सी गाजर को खुद खाने लगा ।
दोस्तों इस कहानी से हम लोगो को यही सीख मिलता है की हम लोगो को हमेसा अपनी ही बारे में नहीं सोचना चाहिए । हर दोस्त को अपने दोस्त का जरूर मदत करना चाहिए ।
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