आप अपनी कीमत को पहचानो –
क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी ज़िन्दगी की कीमत क्या है ?
यह कहानी एक ऐसे पिता और उनके बेटे की है, जो वह जिंदगी के मूल्य को समझने का एक अनोखा तरीका सिखाती हैं | यह कहानी आपको जीवन का सच्चा मूल्य पहचनाने में मदद करेगी |
तो चलिए कहानी को जानते है |
बहुत पहले की बात है , एक पिता अपने बेटे के साथ एक बहुत ही सुन्दर शहर में रहता था | एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और कहा, पिता जी मेरी जिंदगी की क्या कीमत है ? तभी उसके पिता जी उसको एक पत्थर देते है ,
और कहता है, बेटा अगर तुम्हे अपनी ज़िन्दगी की कीमत जाननी है तो इस पत्थर को बाज़ार ले जाओ | अगर कोई इसकी कीमत पूछे ,तो तुम कुछ मत कहना और सिर्फ तुम अपनी दो उँगलियाँ ऊपर उठाना | तो बेटा अपने पिता की बात मानता है, और पत्थर लेकर बाज़ार चला जाता है |
और बाज़ार में इधर उधर घूमता है और अचानक ही एक बुजुर्ग आदमी उसके पास आता है, और पूछता है ये पत्थर कितने का है बेटा, वह कुछ नहीं कहता, बस दो उँगलियाँ ऊपर उठता है | बुजुर्ग आदमी कहता है अच्छा दो सौ रूपये , अच्छा मैं ले लेता हूँ बेटा हैरान होता है और दौडते हुए अपने पिता के पास जाता हैं और कहता है पिता जी बाजार में एक बुजुर्ग आदमी ने उस पत्थर को दो सौ रुपये में खरीद लिया फिर पिता ने अपने बेटे से कहता है , अब तुम इस पत्थर को म्यूजियम ले जाओ अगर तुमसे कोई कीमत पूछे तो
तुम कुछ मत कहना तुम सिर्फ अपनी दो उँगलियाँ ऊपर उठा देना | बेटा म्यूजियम जाता है और वहाँ 15 मिनट के बाद एक आदमी जो सूट पहने हुआ है ,और उसके पास आता है और कहता है , जनाब ये पत्थर कितने का है ? वह फिर कुछ नहीं कहता है बस दो उँगलियाँ ऊपर उठाता है | आदमी कहता है, दो हजार रूपये , लाओ मैं ले लेता हूँ | बेटा फिर हैरान होता है और दौड़कर अपने पिता के पास जाता है और कहता है पिताजी म्यूजियम में एक आदमी आया, वह दो हजार देकर उस पत्थर को खरीद लिया | फिर पिताजी बोलते है बेटा अब इस पत्थर को किसी कीमती पत्थरो की दुकान पर ले जाओ , अगर कोई भी इसकी कीमत पूछे , तो कुछ मत कहना सिर्फ दो उंगलियाँ ऊपर उठा देना | तो बेटा उस दुकान पर जाता है दुकान मैं एक बूढ़ा आदमी काउंटर के पीछे बैठा हुआ था | जैसे ही वह पत्थर देखता है वो उछल पड़ता है और चिल्लाता है , ये वो पत्थर है जिसे मैं अपनी पूरी ज़िन्दगी ढूंढ रहा था |
तुम इसके कितने पैसे लोगे बेटा, फिर वह कुछ नहीं बोलता बस दो उँगलियाँ ऊपर उठता है , बूढ़ा आदमी कहता है अच्छा ये दो लाख का है इसे मैं ले लेता हूँ , बेटा ये सुनकर अपनी ख़ुशी को रोक नहीं पता और दौड़ता हुआ अपने पिता के पास जाता है और कहता है , पिताजी उस दुकान पर बूढ़ा आदमी दो लाख रूपये देना चाहता था, इस पत्थर के लिए तब पिता अपने बेटे से कहता है, बेटा अब तुम समझ गए होंगे की ज़िन्दगी मैं तुम्हारी क्या कीमत है | ये सब तुम पर निर्भर है कि तुम अपनी ज़िन्दगी कहाँ रखते हो | तुम यह फैसला कर सकते हो कि तुम दो सौ रूपये का पत्थर हो या तुम दो लाख रूपये का कुछ लोग इस दुनिया में होंगे जो तुमसे प्यार करेंगे और कुछ लोग होंगे जो तुम्हे एक सामान की तरह यूज़ करेंगे जिनकी नजरो मैं तुम्हारी कोई कीमत नहीं होगी | तो यह फैसला तुम्हारे हाथ में है, बेटा कि अपनी ज़िन्दगी की कीमत क्या रखोगे |
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