बहुत समय पहले की बात है , राहुल और मोहन जुगलपुर मे रहते थे , मोहन बहुत ही धनी था जबकि राहुल नहीं था | लेकिन वह दिन – रात बहुत ही मेहनत करता था | समय बीतता गया , दोनों हमेसा एक दूसरे के साथ रहते थे | एक दिन मोहन बहुत ही बीमार हो गया , राहुल उसी रस्ते से गुजर रहा था | उसने मोहन को देखा और कुछ पैसा देकर वह से चला गया | यह सब देखकर मोहन को बहुत जी ज्यादा बुरा लगा और मन ही मन बहुत दुखी हुवा | लेकिन उसके पास भी उस टाइम पैसा नहीं था और उसने उन पैसो से अपना इलाज करा लिया | जब वह अपनी बीमारी से ठीक हो गया तो उसने मेहनत करके कुछ पैसा कमाया और राहुल का दिया हुवा कर्ज वापस दे दिया |
समय गुजरता चला गया , एक दिन राहुल भी बीमार हो गया | सब लोग उससे मिलने के लिए आ रहे थे . लेकिन कोई उससे कुछ पूछ नहीं रहा था | कुछ टाइम बाद जब मोहन को पता चला तो वह आया और रात- दिन जगकर उसकी सेव किया और धीरे – धीरे राहुल सही हो गया | फिर उसको याद आया की मोहन ने दिन – रात जागर मेरी सेवा किया , लेकिन मे उसका ये कर्ज कैसे चुकाउंगा | उसको अपने किये पर बहुत अफ़सोस हो रहा था और फिर उसने मोहन से जाकर माफी मांगी | मोहन ने उसको माफ़ कर दिया और बोल सहानुभूति एक ऐसी चीज है जिसको लौटाया नहीं जा सकता है |