एक बार की बात है अकबर की पत्नी ने अखबार से कहा-” आप हमेशा बीरबल की बड़ाई करते हैं, जबकि मानसिंह भी काफी बुद्धिमान है उसकी आप कद्र ही नहीं करते हैं। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए, आपको मान सिंह को भी आजमाना चाहिए।”
अकबर ने कहा-” ठीक है मैं दोनों की एक परीक्षा लेता हूं! इस परीक्षा में जो सफल होगा वही सबसे ज्यादा बुद्धिमान होगा।”
अगले दिन राजा ने मानसिंह और बीरबल को एक संदेश पत्र देकर फारस के राजा के पास भेज दिया और कहा -” यह संदेश तुम फारस के राजा को देकर आओ!”
बीरबल और मानसिंह फारस के राजा के पास पहुंचे और उसे अकबर का संदेश पत्र दिया। राजा ने संदेश पत्र को पढ़ा। उसमें लिखा था “मानसिंह और बीरबल को जल्द से जल्द फांसी पर चढ़ा दीजिए!”
यह सुनकर मानसिंह बहुत घबरा गया। मानसिंह और बीरबल को सिपाहियों ने पकड़कर कैदखाने में डाल दिया और अगले दिन फांसी पर चढ़ाने की तैयारियां शुरू कर दी। कैद खाने में मानसिंह ने बीरबल से कहा-” अकबर ने ऐसा क्यों किया? हमने कोई गुनाह भी तो नहीं किया था तब क्यों हमे फांसी पर चढ़ाने का आदेश दे दिया?”
बीरबल ने कहा-‘ घबराओ मत! हमें फांसी नहीं दिया जाएगी। मैंने एक फांसी से बचने के लिए एक तरकीब सोच लिया है।”
अगले दिन जब मानसिंह और बीरबल को फांसी के फंदे पर लाया गया, तब दोनों आपस में झगड़ा करने लगे। राजा ने झगड़े का कारण पूछा? तब बीरबल ने कहा-” महाराज! हमारे धर्म गुरु ने कहा है कि आज के दिन जो फांसी पर पहले चढ़ेगा वह अगले जन्म में एक बहुत ही प्रतापी राजा बनेगा और फारस राज्य का अंत कर देगा।”
यह सुनकर फारस का राजा घबरा गया और उसने बीरबल और मानसिंह को रिहा कर दिया।
वापस आकर मानसिंह से अकबर से पूछा-” महाराज! आपने हमें वहां फारस में फांसी पर लटकाने के लिए क्यों आदेश दिया था?”
तब अकबर ने बताया -“मैं तुम दोनों के बुद्धि की परीक्षा ले रहा था और इस परीक्षा में बीरबल सफल हुआ। उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग करके ना सिर्फ अपने आप को बचाया बल्कि तुमको भी बचा लिया।”
यह सब सुनकर अकबर की पत्नी को भी विश्वास हो गया कि बीरबल से ज्यादा बुद्धिमान उसके राज्य में और कोई नहीं है।