एक सड़क के किनारे आम और पीपल का पेड़ था। आम के पेड़ पर बहुत ही ज्यादा फल लगे हुए थे। धीरे-धीरे आम के पेड़ के फल पकने लगे। जो भी उस रास्ते से आता, आम के पेड़ के नीचे बैठता था और उसके फल को खाकर आनंदित हो जाता था, जबकि बूढ़े पीपल के पेड़ के नीचे कोई नहीं बैठता था।
धीरे-धीरे आम के पेड़ को अपने ऊपर बहुत ही ज्यादा घमंड हो गया। वह पीपल के पेड़ से बोला– “तुम कितने बदकिस्मत वाले पेड़ हो!! तुम्हारे नीचे कोई बात व्यक्ति बैठना पसंद नहीं करता है और ना ही तुम्हारे ऊपर कोई फल लगता है! तुम्हें कोई पूछता तक नहीं है।”
उस बूढ़े पीपल के पेड़ ने आम के पेड़ से कहा– “बेटा इतना घमंड अच्छा नहीं होता है! सबका अपना अपना विशेष महत्व होता है और उसी के अनुसार उसका उपयोग भी होता है! इसलिए तुम्हें बहुत ज्यादा घमंड नहीं करना चाहिए।”
आम के पेड़ ने पीपल के पेड़ के बातों को अनसुना कर दिया। एक दिन की बात है ..पास के गांव के कुछ धूर्त बच्चे उस आम के पेड़ के नीचे आए और उसके सारे फल को तोड़कर अपने घर लेकर चले गए। बच्चों ने आम के पत्तों एवं टहनियों को भी तोड़ डाला।
अब आम का पेड़ बहुत ही भद्दा दिखने लगा था। आम के पेड़ को अपने आप पर शर्म आ रही थी। उसे सरमाया हुआ देख पीपल के पेड़ ने कहा– देखो पुत्र! तुम्हारे घमंड ने ही तुम को मुसीबत में डाल दिया!! तुम्हारी खूबसूरती तुमको बर्बाद कर दी!! जबकि मैं जैसे पहले था, वैसे ही अभी सुरक्षित हूं और मुझे कोई नुकसान भी नहीं हुआ है!”
अब आम के पेड़ को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने घमंड करना छोड़ दिया और पीपल के साथ मित्रवत व्यवहार करके रहने लगा।