एक गांव में एक जमीदार रहता था। वह बहुत ही कंजूस था। जमींदार हर बात में कंजूसी करता था।

एक दिन की बात है जमीदार नदी में नहाने गया था। तभी अचानक उसका पैर फिसल गया और वह नदी में डूबने लगा। उसने भगवान से प्रार्थना किया कि “हे भगवान! मेरी जान बचा लो! मैं आप को खुश करने के लिए 101 पंडितों को भोजन कराउंगा। भगवान ने उसकी सुन ली और उसे पानी से थोड़ा किनारे कर दिया। अब धीरे-धीरे जमीदार पानी से बाहर आने लगा। जब जमीदार पानी के बहाव से बाहर आ गया तब कहा-” भगवान 101 पंडित को तो नहीं भोजन करा पाऊंगा, मगर 21 पंडितों को जरुर भोजन कराऊंगा। यही कहते-कहते वह जमीदार बाहर आ गया।

नदी से बाहर आकर जमीदार ने कहा-” भगवान 21 पंडित तो बहुत ज्यादा पंडित होते हैं, उनको खिलाने का खर्चा बहुत आएगा। इसलिए मैं एक पंडित को ही खिलाऊंगा। यह बोलकर जमीदार गांव में सबसे कम खाना खाने वाले पंडित के घर पहुंचा और पंडित से अपने घर पर भोजन करने के लिए निमंत्रण दिया।

वह पंडित जमीदार की कंजूसी को जानता था और उसे सबक सिखाना चाहता था। अगले दिन जब पंडित जमीदार के घर भोजन करने गया तब जमीदार किसी काम के चक्कर में बाहर चला गया। अब घर पर जमींदार की पत्नी थी जो बहुत ही अच्छे स्वभाव की थी।

पंडित ने खूब दबाकर वहां भोजन किया और भोजन करने के बाद जमीदार की पत्नी से कहा-” काश आपकी सास जिंदा होती! जब भी मैं यहां खाना खाने आता तो वह मुझे भरपेट खाना खिलाती, 5001 रुपए दक्षिणा देती और घर के लिए कुछ राशन भी दान देती थी। यह सुनकर जमीदार की पत्नी ने कहा-” ठीक है पंडित जी मैं भी आपको वह सब चीजें दूंगी जो हमारी सास दिया करती थी!”

जमीदार की पत्नी ने 5001 रुपए और खूब सारा सामान बांध कर पंडित को से दिया। वह पंडित खुशी खुशी वहां से चला गया।

जब जमीदार को इन बातों का पता चला तो बहुत ही गुस्सा हुआ। मगर अब पछताए का होत है जब चिड़िया चुग गई खेत।

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