एक मछुआरा था। वह नदियों और तालाबों से मछलियों को पकड़कर बाजार में बेचा करता था । मछलियों को बेचकर वह अपना जीवन यापन किया करता था।
एक दिन वह मछुआरा एक तालाब में मछली पकड़ने गया। तालाब में बहुत सारी मछलियां थी। उस दिन उसके जाल में बहुत सारी मछलियां फंसी। उन्हें बेचकर वह बहुत पैसे कमाया।
अगले दिन भी वह मछुआरा उसी तालाब में मछली पकड़ने गया। आज उसके जाल में एक छोटी सी मछली फांसी। छोटी सी मछली को देखकर मछुआरा बहुत उदास हुआ, फिर मछुआरे ने सोचा-” चलो इसको आज बनाकर खा लेता हूं!”
तभी उस छोटी मछली ने मछुआरा से कहा-” भैया मुझे जाने दो! बिना पानी के मैं मर जाऊंगी।”
यह सुनकर मछुआरा मछली से कहा-” नहीं! मैं तुमको नहीं जाने दूंगा। आज तुम अकेली ही मेरी बस जाल में फंसी हो मैं तुमको कैसे जाने दे सकता हूं।”
यह सुनकर चालाक मछली ने मछुआरे से कहा-” अगर तुम मुझे आज जाने दोगे, तो कल मैं अपने सारे दोस्तों को बुला कर लाऊंगी जिन्हें तुम अपने जाल में फंसा लेना और उन्हें बेचकर खूब सारे पैसे कमा लेना।”
यह सुनकर मछुआरे के मन में लालच आ गया और उसने छोटी मछली को जाने दिया। मछली पानी में जाकर छुप गई।
अगले दिन जब मछुआरा मछलियां पकड़ने उस तालाब में आया, तब उसके जाल में एक भी मछली नहीं फसी, क्योंकि उस चालाक मछली ने पूरी तालाब के मछलियों को मछुआरे के बारे में बताई और उस तालाब को छोड़कर जाने के लिए कह दिया था। अब सारी मछलियां उस तालाब को छोड़कर जा चुकी थी! इसलिए मछुआरे की जाल में एक भी मछली नहीं आयी।
छोटी चालाक मछली के कारण पूरे तालाब की मछलियों की जान बच गई। अब सारी मछलियों ने मिलकर और चालाक मछली का धन्यवाद किया।
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है मुश्किल परिस्थिति में हमें अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए और चालाकी से काम लेना चाहिए। क्योंकि चालाकी से हम कोई ना कोई रास्ता निकाल लेते हैं और मुश्किल से मुश्किल समय में भी हम अपने आप को और अपने चाहने वालों को बचा लेते हैं।