एक शहर में दीपक नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह जादू टोना और अंधविश्वास में बहुत ज्यादा भरोसा रखता था। वह हर काम करने से पहले उसे किसी बाबा से पूछ कर करता था। अगर बाबा उस उस काम को करने के लिए कहते तो ही वह करता था नहीं तो नहीं करता था, भले ही काम कितना भी जरूरी है।
एक दिन की बात है दीपक बाजार में कुछ सामान लेने गया था, वहां उसे उसका मित्र संकल्प मिला। दीपक ने संकल्प से पूछा- “और मित्र! तुम्हारी जिंदगी में क्या चल रहा है?”
संकल्प ने कहा-” मैं कंपनी में काम करता हूं!”
संकल्प ने दीपक के हाथ में बहुत सारी मोतियों की अंगूठी देखकर पूछा-” भाई यह बताना तुम हाथ में इतनी मोतीदार अंगूठी क्यों पहन कर रखे हो?”
दीपक ने जवाब दिया -“मुझे इस अंगूठी को एक बाबा ने 5000 रुपए में दिया है और कहां है कि इससे तुम जीवन में बहुत ज्यादा प्रगति करोगे!”
संकल्प ने बड़ी उत्सुकता से फिर पूछा-” क्या तुम प्रगति कर रहे हो?”
तब दीपक ने जवाब दिया-” अभी तक तो नहीं किया हूं लेकिन भविष्य में हो सकता है जरूर करूंगा!”
दोनों एक दूसरे को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देकर अपने अपने घर चले आए। एक
दिन दीपक किसी काम के शुरू होने से पहले एक बाबा के पास गया और 10000 रुपए देकर उनसे अपना भविष्य जानना चाहा। बाबा ने दीपक से कहा -” तुम अब एक महीने के अंदर ही मर जाओगे! इसलिए अब कुछ काम मत करो!”
दीपक के मन में यह बात घर कर गई। वह काफी उदास रहने लगा। दीपक बहुत सारे लोगों से पैसे उधार ले लिया। वह सोचता था ” जब एक महीने के अंदर मैं मर जाऊंगा तो क्यों ना सब का पैसा खा पी के मरू।” यही सोचकर दीपक खूब कर्ज लेते गया।
अब महीने का अंतिम दिन आ गया मगर दीपक नहीं मारा। उसने सोचा कि हो सकता मैं रात में मर जाऊं। मगर दीपक रात में भी नहीं मारा। कुछ
कुछ दिन बाद सारे कर्ज दाता दीपक के घर आकर अपना कर्जा मांगने लगे। अब दीपक को समझ में आ गया था कि अंधविश्वास के चक्कर में वह कितनी बुरी तरह से कर्ज में फंस गया है। अब दीपक ने अंधविश्वास में भरोसा करना छोड़ दिया और खूब मेहनत करने लगा। धीरे-धीरे उसने अपना सारा कर्ज उतार दिया और एक खुशहाल जीवन जीने लगा।
दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें अपने मेहनत पर भरोसा करना चाहिए ना कि अंधविश्वास पर। हमारी किस्मत भी हमारे मेहनत पर ही निर्भर करती है। हम जितना मेहनत करेंगे हमारी किस्मत उतनी ही चमकेगी