इस कहानी की शुरुआत होती है सीमा नामक एक लड़की से। सीमा एक बहुत ही पढ़ी लिखी लड़की है। वह अपने गांव में छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाया करती थी। जिससे वह अपने खर्च के पैसे निकाला करती थी और बच्चों को सही शिक्षा भी मिल जाती थी।

कुछ दिन बाद सीमा का विवाह राधे नामक एक व्यक्ति से हो गया। राधे की मां जिसकी जिसका नाम सुमित्रा था, उनको सीमा का बच्चों को पढ़ाना पसंद नहीं था। उनका मानना था कि उनका बेटा राधे इतना पैसा कमाता है की बहू को काम करने की जरूरत नहीं। सीमा भी अपनी सास सुमित्रा की बात मानकर बच्चों को पढ़ाना बंद कर दी और अपने ससुराल में खुशी-खुशी रहने लगी।

एक दिन की बात है सुमित्रा का सबसे छोटा बेटा जिसका नाम हर्ष था, उसका रिजल्ट आया और वह फेल हो गया। यह देखकर सुमित्रा ने हर्ष को बहुत डांटा।

सीमा ने अपने सास सुमित्रा से कहा- “माता जी आप घबराइए मत! मैं हर्ष को पढ़ आऊंगी!”

सुमित्रा ने कहा-” यह एकदम गधा है इसे कुछ भी नहीं आता। इसे कोई पढ़ा दे, मगर यह पास नहीं हो सकता।” यह कहकर उसकी सास चली गई।

अब सीमा हर्ष को रोज पढ़ाया करती थी। धीरे धीरे हर्ष को पढ़ना आ गया। कुछ महीने बाद जब हर्ष का दोबारा एग्जाम हुआ, तब हर्ष अपने परीक्षा में अच्छे अंको से पास हो गया। यह देखकर सुमित्रा बहुत ही खुश हुई।

अब सीमा की सास सुमित्रा को एहसास हो गया था कि उसकी बहू पढ़ी-लिखी है, तो उसे उसका शौक पूरा करना चाहिए। अगर वह बच्चों को पढ़ाना चाहती है तो उसे और भी बच्चों को पढ़ाना चाहिए। इस तरह से सुमित्रा ने सीमा को बच्चों को पढ़ाने के लिए छूट दे दी। धीरे-धीरे सीमा का एक बहुत ही अच्छा कोचिंग सेंटर चलने लगा। जिससे सीमा की कमाई भी होती और बच्चों को अच्छी शिक्षा भी मिल जाती थी। अब सीमा और सुमित्रा और उसका पति सभी लोग बहुत ही खुश थे।

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